राजस्थान की वेशभूषा (Rajasthan costumes)
इस पोस्ट में राजस्थान की प्रमुख वेशभूषाओं का विस्तृत वर्णन किया गया है | राजस्थान की वेशभूषाओं ( Rajasthan costumes)के बारे में राजस्थान की लगभग हर ए
ग्जाम में प्रश्न पूछे जाते है जैसे कि राजस्थान पुलिस, पटवार,रीट,एसआई आदि | आगामी समय में राजस्थान लेवल की सभी एग्जाम के लिए ये टॉपिक काफी महत्वपूर्ण है ......
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आगामी समय में राजस्थान लेवल की सभी एग्जाम के लिए ये टॉपिक काफी महत्वपूर्ण है ......
राजस्थान की पारंपरिक पोशाक असाधारण रूप से जीवंत है, जो लोगों की भावना और क्षेत्र की संस्कृति को दर्शाती है। राजस्थान के लोगों द्वारा पहने जाने वाले कपड़े जलवायु और स्थितियों में ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं। इन रेगिस्तानी लोगों की पारंपरिक पोशाक और आभूषण उनके लिए मात्र आभूषण नहीं हैं। पगड़ी, कपड़े, आभूषण और यहां तक कि जूते सहित सिर से पैर तक सब कुछ राजस्थान की आबादी की पहचान, धर्म और आर्थिक और सामाजिक स्थिति स्थापित करता है।
* पुरुषों के वस्त्र :- पगड़ी, जामा, चोगा, अंगरखी / बुगतरी, ब्रिजेस, आतमसुख, कमरबंध, घुघि, साफा, धोती, पायजामा, अंगोछा आदि।
* महिलाओं के वस्त्र :- साड़ी, पोमचा, ओढ़नी, घाघरा, लहरिया, लुगड़ा, कुर्ती-कांचली, तिलका, घघरी आदि।
* आदिवासी महिलाओं के वस्त्र :- फड़का, रैजा, खुसनी, पिरिया आदि।
1. पगड़ी(Turban) :-
- पगडी मेवाड़ की प्रसिद्ध है। पगड़ी को पाग, पेंचा व बागा भी कहते है।
- विवाह पर पहनी जाने वाली पगड़ी मोठडा पगडी कहलाती है।
- श्रावण मास में पहनी जाने वाली पगड़ी लहरिया कहलाती है।
- दशहरे के अवसर पर पहने जाने वाली पगड़ी मदील कहलाती है।
- दीपावली के अवसर पर पहने जाने वाली पगड़ी केसरिया कहलाती हैं
- फूल पती की छपाई वाली पगडी होली के अवसर पर पहनी जाती है।
- प्रमुख पगडि़यां – जसवन्तशाही, स्वरूपशाही, मेवाड़ी, अमीरशाही, शाहजहांनी, विजयशाही, राठौड़ी, भीमशाही, राजशाही, उद्यशाही, चूड़ावतशाही आदि प्रसिद्ध है।
2. अंगरखी(Tunic) :-
- शरीर के ऊपरी भाग में पहने जाने वाला वस्त्र है।
- अन्य नाम :– बुगतरी, अचकन, बण्डी आदि।
3. चौगा(Four) :-
- सम्पन्न वर्ग द्वारा अगरखी के ऊपर पहने जाने वाला वस्त्र।
4. जामा(Jama):-
- शादी - विवाह या युद्ध जैसे विशेष अवसरों पर घुटनों तक जो वस्त्र पहना जाता था, जामा कहलाता है।
5. आत्मसुख(Self-assured) :-
- सर्दी से बचाव के लिए अंगरखी पर पहना जाने वाला वस्त्र है।
- सबसे पुराना आत्मसुख सिटी पैलेस (जयपुर) में सुरक्षित है।
6. पटका(Slam) :-
- जामा के ऊपर पटका/ कमर बंद बांधने की प्रथा थी, जिस पर तलवार या कटार लटकाई जाती थी।
7. ओढ़नी(Muffler):-
* शरीर के निचले हिस्से मे घाघरा ओर ऊपर कूर्ती, कांचली के बाद स्त्रियां ओढ़नी ओढ़ती है।
- पोमचा :- पीली व गुलाबी जमीन वाली विशेष ओढनी बच्चे के जन्म के समय महिलाएं ओढती है।
- लहरिया :– तीज-त्यौहार के अवसर पर महिलाओं पहने जाने वाली ओढनी।
- कटकी :– अविवाहित बालिकाओं की ओढनी।
- लहर भांत की ओढ़नी :– इस पर ज्वार के दानों जैसी बिंदियो से लहरिया बनाया जाता है।
- तारा भांत की ओढ़नी :– आदिवासी स्त्रियों की लोकप्रिय ओढ़नी है, इसे फुदड़ी भी कहते है।
- डुंगरशाही ओढ़नी :– जोधपुर की प्रसिद्ध है।
- केरी भात ओढ़नी
8. ठेपाड़ा / ढेपाडा(Thepara / Dhepada) :-
- भील पुरूषों द्वारा पहनी जाने वाली तंग धोती ।
9. सिंदूरी(Vermilion) :-
- भील महिलाओं द्वारा पहने जाने वाली लाल रंग की साड़ी।
10. खोयतू(Khoytu) :-
- लंगोटिया भीलों में पुरूषों द्वारा कमर पर बांधे जाने वाली लंगोटी को खोयतू कहते है।
11. कछावू(Kachavu) :-
- लंगेटिया भील महिलाओं द्वारा घुटने तक पहना जाने वाला नीचा धाघरा जो प्रायः काले और लाल रंग का होता है।
12. साफा(Safa) :-
- साफा पगड़ी से मोटा व लम्बाई में छोटा होता है। आदिवासियों में साफे को फेंटा कहा जाता है।
13. अंगोछा(Towel) :-
- धूप से बचने के लिए पुरुष सिर पर अंगोछा बांधते है।
- भीलों द्वारा सिर पर पहने जाने वाला अंगोछा चीरा व कमर पर बांधे जाने वाला अंगोछा फालु कहलाता है।
14. कोटा डोरिया साड़ी (Kota Doria Saree):-
- इसे राजस्थान की बनारसी साड़ी कहते है।
- यह कैथून(कोटा), मांगरोल (बांरा) की प्रसिद्ध है।
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