राजस्थानी भाषा और बोलियां (Rajasthani language and dialects) For Rajsthan Police, Patwar, Reet etc. - JANGIR ACADEMY | Online Study Portal

Thursday, September 10, 2020

राजस्थानी भाषा और बोलियां (Rajasthani language and dialects) For Rajsthan Police, Patwar, Reet etc.

राजस्थानी भाषा और बोलियां (Rajasthani Bhasha aur Boli)

राजस्थानी भाषा और बोलियां (Rajasthani Bhasha aur Boli)

इस पोस्ट में राजस्थान की प्रमुख भाषा व बोलियो का विस्तृत वर्णन किया गया है | बोलियों के बारे में राजस्थान की लगभग हर एग्जाम में प्रश्न पूछे जाते है जैसे कि राजस्थान पुलिस, पटवार,रीट,एसआई आदि | 
आगामी समय में राजस्थान लेवल की सभी एग्जाम के लिए ये टॉपिक काफी महत्वपूर्ण है। ...... 

राजस्थानी भाषा और बोलियां 

- राजस्थानी भाषा की उत्पत्ति शौरसेनी के गुर्जर अपभ्रंश से मानी जाती है।

- श्री कन्हैयालाल माणिक्यलाल मुंशी एवं डॉ. मोतीलाल मेनारिया राजस्थानी की उत्पत्ति गुर्जर अपभ्रंश से बतायी हैं।
 - उद्योतन सूरी ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक कुवलयमाला में 18 देशी भाषाओं में से एक मारू भाषा का भी उल्लेख किया है।
 - कवि कुशललाभ के ग्रंथ ‘पिंगल शिरोमणि’ अबुल फजल के ‘आईने अकबरी’ में मारवाड़ी शब्द का प्रयोग देखने को मिलता है।
- जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन ने 1912 में राजस्थानी भाषा की उत्पत्ति शौरसैनी नागर अपभ्रंश से बताई थी।
- जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन ने 1912 में अपनी पुस्तक ‘लेंग्वेस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया (Linguistic Survey of India) में राजस्थानी शब्द का प्रयोग किया तथा राजस्थानी भाषा का वैज्ञानिक विश्लेषण करके चार शाखाएं बताइ –


  1. पश्चिमी राजस्थानी :-  मारवाड़ी, मेवाड़ी, बागड़ी, बीकानेरी, शेखावाटी, खेराड़ी, गोड़ावाड़ी आदि
  2. मध्य-पूर्वी राजस्थानी :- ढूंढ़ाड़ी, तोरावाटी, खड़ी, राजावाटी, अजमेरी, हाडोती, किशनगढ़
  3. उत्तर-पूर्वी राजस्थानी :- अहीरवाटी, मेवाती।
  4. दक्षिणी राजस्थानी :- मालवी, रांगड़ी, वागड़ी

राजस्थानी बोलियों का क्षेत्र :-

(1) मेवाड़ी :

 - यह बोली उदयपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद में बोली जाती है।
 * वागड़ी :- डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सिरोही, उदयपुर जिले का दक्षिणी-पश्चिमी भाग में
 भीली बोली इसकी सहायक बोली हैं।

(2) मारवाड़ी :-

 - प्राचीन नाम :– मरु भाषा (कुवलयमाला में)
 - इसका विस्तार :– जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर, पाली, नागौर, सिरोही, शेखावाटी।
 - मारवाड़ी साहित्य में डिंगल कहा गया है।

* मारवाड़ी की बोलियां :- मेवाड़ी, बागड़ी, शेखावाटी, बीकानेरी, थली, खेराड़ी, नागौरी, गोड़वाड़ी। 

(3) ढूंढाड़ी :-

 - इस बोली को जयपुरी या झाड़शाही बोली भी कहा गया है।
 - यह बोली जयपुर, अजमेर, टोंक, दोसा में बोली जाती है।
 - इस बोली पर गुजराती, मारवाड़ी एवं ब्रज भाषा का प्रभाव मिलता है।
ढूंढाड़ी की प्रमुख बोलियां :- तोरावाती, राजावाटी, चौरासी (शाहपुरा), नागरचोल, किशनगढ़ी, अजमेरी, हाड़ोती।

 (4) तोरावाटी :-

- झुंझुनू जिले का दक्षिणी भाग, सीकर जिले का पूर्वी व दक्षिणी पूर्वी भाग व जयपुर जिले के उत्तरी भाग में बोली जाने वाली बोली।

 (5) रांगड़ी :-

 - यह बोली मालवी व मारवाड़ी का मिश्रण है।

 (6) शेखावाटी :-

- यह बोली मारवाड़ी की उपबोली है | 
- यह बोली सीकर, चूरू, झुंझुनू में बोली जाती है।

(7) काठेड़ी :-

 - यह बोली जयपुर जिले के दक्षिणी भाग में बोली जाती है।

 (8) चौरासी :-

 - यह बोली जयपुर जिले के दक्षिणी – पश्चिमी व टोंक जिले के पश्चिमी भाग में बोली जाती है।

  (9) गोड़वाड़ी :-

 - यह मारवाड़ी बोली की उपबोली है।
 - यह बोली आहोर (जालोर) व पाली में बोली जाती है।

 (10) देवड़ावाटी :- 

 - यह बोली मारवाड़ी की उपबोली है।
 - यह बोली सिरोही में बोली जाती है

 (11) हाड़ोती :-

 - यह बोली ढूंढाड़ी की उपबोली है।
 - वर्तमान में यह बोली हाड़ोती कोटा, बूंदी, बांरा तथा झालावाड़ की प्रमुख बोली है।

 (12) मेवाती :-

 - इस बोली पर ब्रजभाषा का प्रभाव देखने को मिलता है।
 - यह बोली अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली में बोली जाती है।

 (13) अहीरवाटी :-

- अन्य नाम :- हिरवाटी, हिरवाल, राठी
राठ :- अहीरवाटी बोली के क्षेत्र को राठ कहा जाता है।
- यह बोली अलवर (बहरोड, मुंडावर), जयपुर (कोटपूतली) हरियाणा (गुड़गांव, महेंद्रगढ़, नारनौल, रोहतक) एवं दक्षिणी दिल्ली में बोली जाती है।

 (14) मालवी :-

- यह बोली मालवा क्षेत्र में बोली जाती है (झालावाड़, कोटा, प्रतापगढ़)

 (15) निमाड़ी :-

- यह बोली मालवी की उपबोली है।
- इसे दक्षिणी राजस्थानी भी कहा जाता है।

 (16) खेराड़ी :-

 - यह बोली मेवाड़ी, ढूंढाड़ी व हाड़ोती का मिश्रण है।
 - शाहपुरा (भीलवाड़ा), बूंदी में बोली जाती है

(17) नागरचोल :-

 - सवाईमाधोपुर जिले के पश्चिमी भाग व टोंक जिले के पश्चिमी भाग में बोली जाती है।

 (18) राजावाटी :-

 - यह बोली जयपुर जिले के पूर्वी भाग में बोली जाती है।

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