राजस्थान की प्रमुख छतरिया (Major Chattariya of Rajasthan)
इस पोस्ट में राजस्थान की प्रमुख छतरियों का विस्तृत वर्णन किया गया है | छतरियों के बारे में राजस्थान की लगभग हर एग्जाम में प्रश्न पूछे जाते है जैसे कि राजस्थान पुलिस, पटवार,रीट,एसआई आदि |
1. 84 खम्बों की छतरी
- देवपुरा गांव के निकट स्थित है (बूंदी) ।- इसका निर्माण राव अनिरुद्ध सिंह ने अपने भाई देवा की याद में 1740 में कराया ।
- यह तीन मंजिला छतरी 84 खम्भों पर स्थित है ।
- यह छतरी भगवान शिव को समर्पित है।
2. मुसी रानी की छतरी
- मुसी रानी की छतरी अलवर के महल के पास सरोवर के किनारे स्थित है ।- मुसी रानी की छतरी का निर्माण महाराजा बख्तावरसिंह एवं उनकी रानी मूसी की याद में विनयसिंह के द्वारा करवाया गया था ।
- इसकी निचली मंजिल लाल पत्थर एवं उपरी मंजिल सफ़ेद पत्थर से बनी हुई है ।
- यह 19वीं सदी के राजपूत स्थापत्य कला का एक नमूना है ।
- इसे 80 खम्भों की छतरी भी कहा जाता है ।
3. गैटोर की छतरियाँ
- यह जयपुर के पास गैटोर में स्थित है ।- यह छतरियां पंचायन शैली में बनी हुई है ।
- यह जयपुर के शाही शमशान स्थल है, जहाँ जयपुर के राजाओं की छतरिया बनी हुई है ।
- यह छतरियाँ, सवाई जयसिंह से प्रारम्भ होती है ।
- यहाँ जयपुर के सभी राजाओं की छतरियों है, सिवाय सवाई ईश्वर सिंह के जिनकी छतरी चन्द्रमहल (सिटी पैलेस) में बनी हुई है ।
4. सवाई ईश्वर सिंह की छतरियाँ
- ये चन्द्रमहल (सिटी पैलेस) के जयनिवास उद्यान में स्थित है ।- इसका निर्माण सवाई माधोसिंह ने करवाया।
5. जसवंत थड़ा
- जोधपुर दुर्ग (मेहरानगढ़) के पास ही सफ़ेद संगमरमर का एक स्मारक बना है जिसे जसवंत थड़ा कहते है।- इसे सन 1899 में जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह जी (द्वितीय)(1888-1895) की यादगार में उनके उत्तराधिकारी महाराजा सरदार सिंह जी ने बनवाया था।
- जसवंत थड़ा, जोधपुर राजपरिवार के सदस्यों के दाह संस्कार के लिये स्थान है ।
- जसवंत थड़े के पास ही महाराजा सुमेर सिह जी, महाराजा सरदार सिंह जी, महाराजा उम्मेद सिंह जी व महाराजा हनवन्त सिंह जी के स्मारक बने हुए हैं।
6. मंडोर की छतरिया
- मंडोर (जोधपुर) में जसवंत-II के पूर्व के शाशकों की छतरियां स्थित है।- यहाँ सबसे बड़ी छतरी अजित सिंह की है।
7. महासतिया
- महासतिया उदयपुर में आहड़ नामक जगह पर है।- महाराणा प्रताप के बाद बनने वाले राजाओं की छतरिया यहाँ पर स्थित है।
- यहाँ पहली छतरी महाराणा अमरसिंह की है।
8. देवी कुण्ड की छतरियाँ
- यह बीकानेर के शाही शमशान स्थल है, जहाँ बीकानेर के राजाओं की छतरिया स्थित है।- कल्याण सागर के किनारे स्थित इन छतरियों में रायसिंह एवं बीकाजी की छतरियाँ प्रमुख है ।
9. केसर बाग की छतरियाँ
- ये छतरियाँ बूंदी में स्थित है।- यह बूंदी के शाही शमशान स्थल है, जहाँ बूंदी के राजाओं की छतरिया स्थित है।
10. बड़ा बाग की छतरियां
- जैसलमेर में स्थित है।- यहां भाटी शासकों की छतरियां स्थित है।
11. क्षारबाग की छतरियां
- कोटा में स्थित है।- यहां हाड़ा शासकों की छतरियां स्थित है।
12. देवकुण्ड की छतरियां
- रिड़मलसर (बीकानेर) में स्थित है।- राव बीकाजी व रायसिंह की छतरियां प्रसिद्ध है।
13. छात्र विलास की छतरी
- कोटा में स्थित है।
14. केसर बाग की छतरी
- बूंदी में स्थित है।15. जसवंत थड़ा
- जोधपुर में स्थित है।- सरदार सिंह द्वारा निर्मित है।
16. रैदास की छतरी
- चित्तौड़गढ में स्थित है।17. गोपाल सिंह यादव की छतरी
- करौली में स्थित है।18. 8 खम्भों की छतरी
- बांडोली (उदयपुर) में स्थित है।- यह वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की छतरी है।
19. 32 खम्भो की छतरी
- राजस्थान में दो स्थानों पर 32-32 खम्भों की छतरियां है।- मांडलगढ (भीलवाड़ा) में स्थित 32 खम्भों की छतरी का संबंध जगन्नाथ कच्छवाहा से है।
- रणथम्भौर (सवाई माधोपुर) में स्थित 32 खम्भों की छतरी हम्मीर देव चौहान की छतरी है।
20. 80 खम्भों की छतरी
- अलवर में स्थित हैं- यह छतरी मूसी महारानी से संबंधित है।
21. 16 खम्भों की छतरी
- नागौर में स्थित हैं- यह अमर सिंह की छतरी है। ये राठौड वंशीय थे।
22. टंहला की छतरीयां
- अलवर में स्थित हैं।23. आहड़ की छतरियां
- उदयपुर में स्थित हैं- इन्हे महासतियां भी कहते है।
24. राजा बख्तावर सिंह की छतरी
- अलवर में स्थित है।25. राजा जोधसिंह की छतरी
- बदनौर (भीलवाडा) में स्थित है।26. मानसिंह प्रथम की छतरी
- आमेर (जयपुर) में स्थित है।27. 06 खम्भों की छतरी
- लालसौट (दौसा) में स्थित है।28. गोराधाय की छतरी
- जोधपुर में स्थित हैं।- अजीत सिंह की धाय मां की छतरी है।
29. जोगीदास की छतरी
- उदयपुर वाटी (झुंझुनू) में, भित्तिचित्रण के लिए प्रसिद्ध
30. अन्य प्रमुख छतरियां
- चेतक की समाधी = हल्दीघाटी के निकट बलीचा गांव में- रैदास की छतरी = चित्तौड़गढ़ दुर्ग में
- मामा भांजा की छतरी = मेहरानगढ़ दुर्ग में
- उड़ना राजकुमार की छतरी = कुम्भलगढ़ दुर्ग में
- दुर्गादास की छतरी = उज्जैन के निकट शिप्रा नदी के तट पर
- बोहरा भगत की छतरी = करौली के कैलादेवी मंदिर के पास
- मूमल की मेढ़ी = लोद्रवा में काक नदी के तट पर, राजकुमारी मूमल (भाटी वंश) की याद में
- नटनी का चबूतरा = पिछोला झील के किनारे, उदयपुर में स्थित
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