मगध महाजनपद (Magadha Mahajanapada) Indian History ! Part - 1 For SCC, Bank, UPSC Exams... - JANGIR ACADEMY | Online Study Portal

Tuesday, September 8, 2020

मगध महाजनपद (Magadha Mahajanapada) Indian History ! Part - 1 For SCC, Bank, UPSC Exams...

मगध महाजनपद (Magadha Mahajanapada)

                मगध महाजनपद (Magadha Mahajanapada)


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- मगध का उदय  – छठी शताब्दी ईo पूo 
- अपनी भौगोलिक व राजनीतिक स्थिति के कारण कालांतर में इसकी प्रतिष्ठा बढ़ी। 
- पुराणों के अनुसार मगध पर शासन करने वाला पहला वंश वृहद्रथ वंश - जरासंध था। 
- बौद्ध ग्रंथों के अनुसार मगध पर पहला शासक हर्यक वंश (पितृहंता वंश) था।

हर्यक वंश (544-412 ईo पूo)

(A) बिम्बिसार –

- इस वंश का पहला शासक बिम्बिसार था।
- बिम्बिसार 15 वर्ष की आयु में 544 ईo पूo में मगध का शासक बना।
- मत्स्य पुराण में बिम्बिसार को क्षैत्रोजस और जैन साहित्य में श्रेणिक कहा गया। बिम्बिसार ने अवन्ति              शासक चण्ड प्रद्योत से मित्रता की और अपने राजवैद्य जीवक को उसके राज्य में चिकित्सा के लिए भेजा था। - बिम्बिसार ने मगध की गद्दी पर 52 वर्ष के लंबे समय तक शासन किया। इसने अंग राज्य को जीता और अपने पुत्र कुणिक को वहाँ का शासक बना कर भेजा।

(B) अजातशत्रु –

- 492 ईo पूo कुणिक ने अपने पिता बिम्बिसार की हत्या कर,  अजातशत्रु के नाम से शासक बना।
- अजातशत्रु का काशी और वज्जि संघ से लंबे समय तक संघर्ष चला और अंत में उन्हें अपने अधीन कर लिया।
- अजातशत्रु का लिच्छवियों से युद्ध हुआ जिसमे इसने रथमूसल और महाशिलाकण्टक नामक हाथियों का             प्रयोग किया था।
- अजातशत्रु के शासन काल के 8 वें वर्ष महात्मा बुद्ध को महानिर्वाण की प्राप्ति हुयी थी।
* इसी के समय राजगृह की सप्तपर्णी गुफा में प्रथम बौद्ध संगीति सम्पन हुयी थी।

(C) उदायिन –

- उदायिन ने पाटलिपुत्र की स्थापना कुसुमपुर के नाम से की और उसे अपनी राजधानी बनाया।
 - यह जैन धर्म का समर्थक था। परंतु भिक्षु वेश धारण करने के कारण एक राजकुमार ने इसकी हत्या कर दी थी
- इसके बाद क्रमशः अनिरुद्ध, मुण्डक, नाग दशक/दर्शक इस वंश के अन्य शासक हुए।

शिशुनाग वंश (412 -344 ईo पूo)

(A) शिशुनाग –

- हर्यक वंश के अंतिम शासक को पदच्युत कर मगध की गद्दी पर अधिकार किया और हर्यक वंश की जगह मगध पर एक नए राजवंश शिशुनाग वंश की स्थापना की।
- राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र से वैशाली स्थापित की। इसने अवंति और वत्स संघ पर अधिकार कर उसे मगध साम्राज्य में मिलाया।

(B) कालाशोक/काकवर्ण –

- कालाशोक ने पाटलिपुत्र को पुनः साम्राज्य की राजधानी बनाया।
- कालाशोक के शासनकाल के 10वें वर्ष (महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण के लगभग 100 वर्ष बाद) वैशाली में द्वितीय बौद्ध संगीति आयोजित हुयी। 
- पाटलिपुत्र में घूमते समय महापद्मनंद ने चाकू घोंप कर कालाशोक की हत्या कर दी।
- इसके बाद नन्दिवर्धन/महानन्दिन मगध का शासक बना। यही शिशुनाग वंश का अंतिम शासक था।

नंद वंश (344-324/23 ईo पूo)

* इस वंश के सभी 9 शासक भाई ही थे

(A) महापद्मनंद –

- प्रारम्भ में ये डाकुओं के गिरोह का राजा/सरदार था। प्रसिद्ध व्याकरणाचार्य पाणिनी इसके मित्र व दरबारी थे।
- पुराणों के अनुसार ये शूद्र, सर्वक्षत्रांतक, भार्गव (दूसरे परशुराम का अवतार) था।
* पाली ग्रंथ में इसे उग्रसेन (जिसके पास भयंकर सेना हो) कहा गया है। 
- जैन ग्रंथों में इसे नापित दास कहा गया है।

(B) घनांनद –

- यूनानी इतिहासकारो ने इसे अग्रमीज कहा है।
- घनानंद का सेनापति भद्रसाल था। 
- मंत्री क्रमशः – जैनी शकटाल, स्थूलभद्र, श्रीयक हुए।
* चन्द्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की सहायता से इसका अंत कर दिया और इसके बाद मगध मर मौर्य वंश की स्थापना हुयी।

मौर्य वंश

322 ई. पू. में चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरू चाणक्य की सहायता से धनानन्द की हत्या कर मौर्य वंश की नींव रखी थी।


चन्द्रगुप्त मौर्य (322 ई. पू. से 297 ई. पू.)- चन्द्रगुप्त मौर्य के जन्म वंश के सम्बन्ध में विवाद है। ब्राह्मण, बौद्ध तथा जैन ग्रन्थों में परस्पर विरोधी विवरण मिलता है।


बिन्दुसार (298 ई. पू. से 272 ई. पू.)- यह चन्द्रगुप्त मौर्य का पुत्र व उत्तराधिकारी था 

अशोक (272 ई. पू. से 232 ई. पू.)- राजगद्दी प्राप्त होने के बाद अशोक को अपनी आन्तरिक स्थिति सुदृढ़ करने में चार वर्ष लगे। इस कारण राज्यारोहण चार साल बाद २६९ ई. पू. में हुआ था।

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