सम्राट बिन्दुसार मौर्य ! (Emperor Bindusara Maurya) | Indian History - JANGIR ACADEMY | Online Study Portal

Friday, August 28, 2020

सम्राट बिन्दुसार मौर्य ! (Emperor Bindusara Maurya) | Indian History

                                                        सम्राट बिन्दुसार मौर्य

  सम्राट बिन्दुसार मौर्य Emperor Bindusara Maurya


बिन्दुसार मोर्य  सम्राट चन्द्र्गुत मोर्य का पुत्र था,जिसने  297- 272 ईसा पूर्व तक राजकाज किया। बिन्दुसार को 'अमित्रघात' भी कहा जाता है। यूनानी इतिहासकार उसे 'अमित्रोचेट्स' के नाम से पुकारते हैं। बिन्दुसार ने अपने पिता द्वारा जीते गए क्षेत्रों को पूर्ण रूप से अक्षुण्ण रखा था। बिन्दुसार की मृत्यु के बाद उसका पुत्र अशोक सम्राट बना। बिन्दुसार को यूनानियों ने 'अमित्रोचेट्स' कहा, जो संभवत: संस्क्र्त शब्द 'अमित्रघट' से लिया गया है, जिसका अर्थ है, 'शत्रुनाशक'। यह उपाधि दक्षिण में उनके सफल सैनिक अभियानों के लिये दी गई होगी, क्योंकि उत्तर भारत  पर तो उनके पिता चन्द्र्गुत मोर्य ने पहले ही विजय प्राप्त कर ली थी। बिंदुसार का विजय अभियान कर्नाटक के आसपास जाकर रूका और वह भी संभवत: इसलिये कि दक्षिण के चोल, पाण्ड्य, चेर सरदारों और राजाओं के मौर्यो से अच्छे संबंध थे। इसका पुत्र अशोक महान था।


जीवन परिचय

 * बिन्दुसार (राज 298-272 ईपू) मोर्य राजवंश के राजा थे जो चन्द्र्गुत मोर्य  के पुत्र थे। बिन्दुसार को अमित्रघातसिंहसेन्मद्रसार तथा अजातशत्रु वरिसार भी कहा गया है। बिन्दुसार महान मौर्य सम्राट अशोक के पिता थे।
 * चन्द्रगुप्त मौर्य एवं दुर्धरा के पुत्र बिन्दुसार ने काफी बड़े राज्य का शासन संपदा में प्राप्त किया। उन्होंने दक्षिण भारत की तरफ़ भी राज्य का विस्तार किया। चाणक्य उनके समय में भी प्रधानमन्त्री बनकर रहे।
 * बिन्दुसार के शासन में तखशिला के लोगों ने दो बार विद्रोह किया। पहली बार विद्रोह बिन्दुसार के बड़े पुत्र सुशीमा के       कुप्रशासन के कारण हुआ। दूसरे विद्रोह का कारण अज्ञात है पर उसे बिन्दुसार के पुत्र अशोक ने दबा दिया।
 * बिन्दुसार को 'पिता का पुत्र और पुत्र का पिता' नाम से जाना जाता है क्योंकि वह प्रसिद्ध व पराक्रमी शासक चन्द्र्गुत       मोर्य  के पुत्र एवं महान राजा अशोक के पिता थे।

 बिंदुसार नाम हमें पुराणों में प्राप्त होता है।

संभवत: चाणक्य चंद्रगुप्त के बाद भी महामंत्री बने रहें और तिब्बती इतिहासकार तारानाथ ने बताया कि उसने पूरे भारत की एकता कायम की। ऐसा मानने पर प्रतीत होता है कि बिंदुसार ने कुछ देश विजय भी किए। इसी आधार पर कुछ विद्वानों के अनुसार बिंदुसार ने दक्षिण पर विजय प्राप्त की। किंतु यह समीचीन नहीं प्रतीत होता। दिव्यावादान  के अनुसार तखशिला में राज्य के प्रति प्रतिक्रिया हुई। उसे शांत करने के लिए बिंदुसार ने वहाँ अपने लड़के अशोक को कुमारामात्य बनाकर भेजा। जब वह वहाँ पहुंचा, लोगों ने कहा कि हम न बिंदुसार से विरोध करते हैं न राजकुमार से ही, हम केवल दुष्ट मंत्रियों के प्रति विरोध प्रदर्शित करते हैं। बिंदुसार की विजयों को पुष्ट करने अथवा खंडित करने के लिए कुछ भी प्रमाण उपलब्ध नहीं है।

बिंदुसार के कई लड़के थे। अशोक के पाँचवें शिलालेख में मिलता है कि उसके अनेक भाई बहिन थे। सबका नाम नहीं मिलता। 'दिव्यावदान' में केवल सुशीम तथा विगतशोक  इन दो का नाम मिलता है। सिंहली परंपरा में उन्हें सुमन तथा तिष्य कहा गया है। कुछ विद्वान्‌ इस प्रकार अशोक के चार भाइयों की कल्पना करते हैं। जैन परंपरा के अनुसार बिंदुसार की माता का नाम दुर्धरा था।

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