राजस्थान के लोक देवता (Folk god of rajasthan)
इस पोस्ट में राजस्थान की प्रमुख लोक देवताओ का विस्तृत वर्णन किया गया है | लोक देवताओ के बारे में राजस्थान की लगभग हर एग्जाम में प्रश्न पूछे जाते है जैसे कि राजस्थान पुलिस, पटवार,रीट,एसआई आदि |
आगामी समय में राजस्थान लेवल की सभी एग्जाम के लिए ये टॉपिक काफी महत्वपूर्ण है ......
इस पोस्ट में राजस्थान की प्रमुख लोक देवताओ का विस्तृत वर्णन किया गया है | लोक देवताओ के बारे में राजस्थान की लगभग हर एग्जाम में प्रश्न पूछे जाते है जैसे कि राजस्थान पुलिस, पटवार,रीट,एसआई आदि |
6. देवनारायण जी
- जन्म :- आशीन्द (भीलवाडा) में हुआ।- उपनाम :- चमत्कारी लोक पुरूष
- जन्म का नाम:- उदयसिंह थान था |
- पिता का नाम:- संवाई भोज एवं माता का नाम:- सेडू खटाणी था।
- विवाह:- राजा जयसिंह(मध्यप्रदेष के धार के शासक) की पुत्री पीपलदे से।
- मुख्य मेंला :- भाद्र शुक्ल सप्तमी को भरता हैं।
- देवनारायण जी के मंदिरों में एक ईंट की पूजा होती है।
- गुर्जर जाति के आराध्य देव है। गुर्जर जाति का प्रमुख व्यवसाय पशुपालन है।
- देवनारायण जी विष्णु का अवतार माने जाते है।
- देवनारायण जी के घोडे़ का नाम लीलागर था।
- प्रमुख स्थल- 1. सवाई भोज मंदिर (आशीन्द ) भीलवाडा में है।
2. देव धाम जोधपुरिया (टोंक) में है।
- देवधाम जोधपुरिया (टोंक) - इस स्थान पर सर्वप्रथम देवनारायणजी ने अपने शिष्यों को उपदेश दिये थे।
- इनकी फंड राज्य की सबसे लम्बी फंड़ है। फंड़ वाचन के समय "जन्तर" नामक वाद्य यंत्र का उपयोग किया जाता है।
- इनकी फड़ पर भारत सरकार के द्वारा 5 रु का टिकट जारी किया हैें।
7.वीर तेजा जी
- जन्म तिथि :- माघ शुक्ला चतुर्दशी वि.स. 1130 को हुआ।- जन्म स्थान खरनाल (नागौर) है।
- माता :-राजकुंवर व पिता - ताहड़ जी
- तेजाजी का विवाह पनेर नरेश रामचन्द की पुत्री पैमल से हुआ |
- प्रमुख स्थल :- ब्यावर, सैन्दरिया, भावन्ता, सुरसरा।
- उपनाम :- कृषि कार्यो का उपकारक देवता, गायों का मुक्ति दाता, काला व बाला का देवता।
- सैदरिया:- यहां तेजाजी का नाग देवता ने डसा था।
- प्रतीक चिन्ह :- हाथ में तलवार लिए अश्वारोही।
- इनकी घोडी का नाम लीलण (सिंणगारी) था।
- इनके पुजारी घोडला कहां जाता है।
- इनका कार्यक्षेत्र हाडौती क्षेत्र था।
- इन्हें जाटों का अराध्य देव कहा जाता है।
- अजमेर में इनको धोलियावीर के नाम से जाना जाता है।
- परबतसर (नागौर) में " भाद्र शुक्ल दशमी " को इनका मेला आयोजित होता है। भाद्र शुक्ल दशमी को तेजा दशमी भी कहते है।
- तेजाजी के मेले के साथ-साथ राज्य स्तरीय वीरतेजाजी पशु मेला आयोजित होता है। इस मेले से राज्य सरकार को सर्वाधिक आय प्राप्त होती है।
- लाछां गुजरी की गायों को मेर के मीणाओं से छुडाने के लिए संघर्ष किया व वीर गति को प्राप्त हुए। सुरसरा (किशनगढ़ अजमेर) यहां तेजाजी वीर गति को प्राप्त हुए।
8. मल्लिनाथ जी
- जन्म - तिलवाडा (बाडमेर) में हुआ।- माता:- जाणीदे, पिता :- रावल सलखा
- इनका मेला चेत्र कृष्ण एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक लूणी नदी के किनारे तिलवाड़ा (बाड़मेर)में भरता हैं। यह मेला मल्लिनाथ जी के राज्याभिषेक के अवसर से वर्तमान तक आयोजित हो रहा हैं।
- इस मेले के साथ-साथ पशु मेला भी आयोजित होता है। यहां थारपारकर व कांकरेज नस्ल का व्यापार होता है।
- बाड़मेर का गुड़ामलानी का नामकरण मल्लिनाथ जी के नाम पर हुआ हैं।
9. देवबाबा जी
- जन्म :- नगला जहाज (भरतपुर) में हुआ।- उपनाम :- ग्वालों का पालन हारा।
- मेला :- भाद्र शुक्ल पंचमी को भरता है।
- ये गुर्जर जाति के आराध्य देव है।
10. वीर कल्ला जी
- जन्म स्थान :- मेडता (नागौर) में हुआ।- उपनाम :- शेषनाग का अवतार, चार भुजाओं वाले देवता
- गुरू :- योगी भैरवनाथ।
- 1567 ई. में चित्तौडगढ़ के तृतीय साके के दौरान अकबर से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
- मीरा बाई इनकी बुआ थी।
- दक्षिण राजस्थान में वीर कल्ला जी की सर्वाधिक मान्यता है।
- इन्हें योगाभ्यास और जड़ी-बूटियों का ज्ञान था।
11. डूंगजी- जवाहर जी
- यह शेखावटी क्षेत्र के लोकप्रिय देवता है।- ये अमीरों व अंग्रेजों से धन लूट कर गरीब जनता में बांटते थे।
12. तल्लीनाथ जी
- इनका वास्तविक नाम - गागदेव राठौड़ ।- इनके गुरू - जलन्धरनाथ (जालन्धर नाथ ने ही गागदेव को तल्लीनाथ का नाम दिया था।)
- पंचमुखी पहाड़ - पांचोटा ग्राम (जालौर) के पास इस पहाड़ पर घुडसवार के रूप में बाबा तल्लीनाथ की मूर्ति स्थापित की गयी है।
- तल्लीनाथ जी ने शेरगढ (जोधपुर) ढिकान पर शासन किया था।
13. पंचवीर जी
- मंदिर :- अजीत गढ़ (सीकर) में है।- यह शेखावटी क्षेत्र के लोकप्रिय देवता है।
- ये शेखावत समाज के कुल देवता है।
14. वीर फता जी
- जन्म स्थान :- सांथू गांव (जालौर) में।- सांथू गांव में प्रतिवर्ष भाद्रपद सुदी नवमी को मेला भरता है।
15. मामादेव जी
- उपनाम- बरसात के देवता- इनके मंदिरों में मूर्ति के स्थान पर लकड़ी के बनें कलात्मक तौरण होते है।
- ये पश्चिमी राजस्थान के लोकप्रिय देवता माने जाते है।
- मामदेव जी को खुश करने के लिए भैंसे की बली दी जाती है।
16. इलोजी जी
- प्रमुख मंदिर इलोजी (जैसलमेर ) में- उपनाम - छेडछाड़ वाले देवता
- जैसलमेर पश्चिमी क्षेत्र में लोकप्रिय है |
17. बिग्गा जी/वीर बग्गा जी
- यह जाखड़ समाज के कुल देवता माने जाते है।- जन्म स्थान :- जांगल प्रदेश (बीकानेर) के जाट परिवार में हुआ था।
- प्रमुख मंदिर-बीकानेर ।
- माता :- सुलतानी पिता :- रावमोहन
- मुस्लिम लुटेरों से गाय छुडाते समय वीरगति को प्राप्त हुए थे।
18. भोमिया जी
- भूमि रक्षक देवता जो गांव-गांव में पूजे जाते है।19. केसर कुवंर जी
- गोगा जी के पुत्र कुवंर जी के थान पर सफेद ध्वजा फहराते है।20. पनराज जी
- जन्म स्थान - नगाा ग्राम (जैसलमेर) में- प्रमुख मंदिर :- पनराजसर (जैसलमेर) में
- पनराज जी जैसलमेर क्षेत्र के गौरक्षक देवता माने जाते है।
- काठौड़ी ग्राम के ब्राह्मणों की गाय छुडाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।
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