Folk god of Rajasthan (राजस्थान के लोक देवता) part 1 Rajasthan GK ! For Rajpolice, Patwar, Reet, Ras, Etc... - JANGIR ACADEMY | Online Study Portal

Friday, September 18, 2020

Folk god of Rajasthan (राजस्थान के लोक देवता) part 1 Rajasthan GK ! For Rajpolice, Patwar, Reet, Ras, Etc...

राजस्थान के लोक देवता (Folk god of rajasthan)

राजस्थान के लोक देवता (Folk god of rajasthan)


इस पोस्ट में राजस्थान की प्रमुख लोक देवताओ का विस्तृत वर्णन किया गया है | लोक देवताओ के बारे में राजस्थान की लगभग हर एग्जाम में प्रश्न पूछे जाते है जैसे कि राजस्थान पुलिस, पटवार,रीट,एसआई आदि | 
आगामी समय में राजस्थान लेवल की सभी एग्जाम के लिए ये टॉपिक काफी महत्वपूर्ण है ...... 

* प्राचीन समय में कुछ ऐसे महापुरुषों ने जन्म लिया, उनमे ऐसा प्रतीत होता था किसी देवता के अवतार है उन्हें कालान्तर में विभिन्न समुदायों द्वारा पूजनीय मान लिया गया और वे साम्प्रदाय आज भी उन महापुरुषों की पूजा करते है उन्हे लोक देवता कहा जाता है। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता इस प्रकार है- 

मारवाड़ के पंच पीर

गोगा जी, रामदेव जी,मेहा जी, पाबूजी,हरभू जी, 

1. गोगा जी

- जन्म स्थान - ददरेवा (जेवरग्राम) राजगढ़ तहसील (चुरू)।
- समाधि स्थल - गोगामेड़ी, नोहर तहसील (हनुमानगढ)
- उपनाम - सांपों के देवता, जाहरपीर (यह नाम महमूद गजनवी ने दिया)
- इनका वंश - चौहान वंश था।
- मुस्लिम पुजारी:-  चायल
- प्रमुख स्थल:-श्शीर्ष मेडी ( ददेरवा),धुरमेडी - (गोगामेडी), नोहर मे।
- प्रमुख मेला :-  भाद्र कृष्ण नवमी (गोगा नवमी) को भरता है। यह पशु मेला राज्य का सबसे लम्बी अवधि तक चलने वाला पशु मेला है। इस मेले के साथ-साथ राज्य स्तरीय पशु मेला भी आयोजित होता है।
- गोगा मेडी {ओल्डी सांचैर (जालौर)}का आकार मकबरेनुमा हैं
- गोगा मेंडी का निर्माण "फिरोज शाह तुगलक" ने करवाया था।
- वर्तमान स्वरूप (पुनः निर्माण) महाराजा गंगा सिंह नें कारवाया।
- गोगा जी ने महमूद गजनवी से युद्ध लडा था।
- गोगाजी हिन्दू तथा मुसलमान दोनों धर्मो में समान रूप से लोकप्रिय थे।
- घोडे़ का रंग नीला है।
धुरमेडी के मुख्य द्वार पर "बिस्मिल्लाह" अंकित है।
- इनके थान खेजड़ी वृक्ष के नीचे होते है।
- गोरखनाथ जी इनके गुरू थे।
- इनके लोकगाथा गीतों में डेरू नामक वाद्य यंत्र बजाया जाता है।
- किसान खेत में बुआई करने से पहले गोगा जी के नाम से राखड़ी "हल" तथा "हाली" दोनों को बांधते है।

2. बाबा रामदेव जी

- जन्म स्थान :- उपडुकासमेर गांव, शिव तहसील (बाड़मेर) में हुआ था।
- प्रमुख स्थल- रामदेवरा (रूणिया), पोकरण तहसील (जैसलमेर)
- रामदेव जी तवंर वंशीय राजपूत थे।
- पिता का नाम अजमल जी व माता का नाम मैणादे था।
- इनके गुरू "बालनाथ" जी थे।
- सुरताखेड़ा (चित्तोड़) व बिराठिया (अजमेर) में भी इनके  अन्य मंदिर है।
- इनकी ध्वजा को नेजा कहा जाता हैं, नेजा सफेद या पांच रंगों का होता हैं |
- बाबा राम देव जी एकमात्र लोक देवता थे, जो कवि भी थे।
-  राम देव जी की रचना " चैबीस बाणिया" कहलाती है।
- रामदेव जी का प्रतीक चिन्ह "पगल्ये" है।
- इनके लोकगाथा गीत ब्यावले कहलाते हैं।
- रामदेव जी का गीत सबसे लम्बा लोक गीत है।
- इनके मेघवाल जाति के भक्त "रिखिया " कहलाते हैं |
- रामदेव जी ने मेघवाल जाति की "डाली बाई" को अपनी बहन बनाया।
- बाबा रामदेव जी का जनम भाद्रशुक्ल दूज (बाबेरी बीज) को हुआ था।
- राम देव जी का मेला भाद्र शुक्ल दूज से भाद्र शुक्ल एकादशी तक भरता है।
- मेले का प्रमुख आकर्षण " तरहताली नृत्य" होता हैं। मांगी बाई (उदयपुर) तेरहताली नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यागना है।
- तेरहताली नृत्य कामड़ सम्प्रदाय की महिलाओं द्वारा किया जाता है। तेरहताली नृत्य व्यावसासिक श्रेणी का नृत्य है।
- रामदेव जी श्री कृष्ण के अवतार माने जाते है।
- छोटा रामदेवरा गुजरात में है।
- इनकी फड़ का वाचन मेघवाल जाति या कामड़ पथ के लोग करते है।
- इनके यात्रीयों को 'जातरू' कहां जाता है।
- रामदेव जी हिन्दू तथा मुसलमान दोनों में ही समान रूप से लोकप्रिय है।
- मुस्लिम इन्हे रामसापीर के नाम से पुकारते है।
- इन्हे पीरों का पीर कहा जाता है।
- जातिगत छुआछूत व भेदभाव को मिटाने के लिए रामदेव जी ने "जम्मा जागरण " अभियान चलाया था।
- इनके घोडे़ का नाम लीला था।

3. मेहा जी

- मुख्य मंदिर :- बापणी गांव (जोधपुर) में स्थित है।
- मुख्य मेला :-भाद्र कृष्ण अष्टमी को।
- घोडे़ का नाम  किरड़ काबरा था
- मेहा जी मांगलियों के ईष्ट देव थे।

4. पाबूजी 

- जन्म स्थान :- जोधपुर के फलोदी तहसील के कोलु ग्राम में 1239 ई में हुआ।
- इनका संबंध राठौड़ वंश से है।
विवाह - अमरकोट के सूरजमल सोडा की पुत्री फूलमदे से हुआ था।
- उपनाम - ऊंटों के देवता, प्लेग रक्षक देवता, राइका/रेबारी जाति के देवता आदि।
- प्रतीक चिन्ह - हाथ में भाला लिए हुए अश्वारोही।
- पाबूजी का मेंला :- चैत्र अमावस्या को कोलू ग्राम में भरता है।
- पाबूजी ने देवल चारणी की गायों को अपने बहनोई जिन्द राव खींचीं से छुडाया।
- पाबूजी के लोकगीत पवाडे़ कहलाते है। इसके वादन में माठ वाद्य का उपयोग होता है।
- पाबूजी की फड़ राज्य की सर्वाधिक लोकप्रिय फड़ है।
- पाबूजी की जीवनी "पाबु प्रकाश" आंशिया मोड़ जी द्वारा रचित है।
- इनकी घोडी का नाम केसर कालमी था।
- राइका /रेबारी जाति का संबंध मुख्यतः सिरोही से है।
- मारवाड़ क्षेत्र में सर्वप्रथम ऊंट लाने का श्रेय पाबुजी को है।
- पाबूजी की फड़ के वाचन के समय "रावणहत्था" नामक वाद्य यंत्र उपयोग में लिया जाता है।

5. हरभू जी

- जन्म स्थान- भूण्डोल/भूण्डेल (नागौर) में हुआ।
इनके गुरू - बालीनाथ जी।
- इनका प्रमुख:- मंदिर बेंगटी ग्राम (जोधपुर) में है। हरभू जी के मंदिर में इनकी गाड़ी की पूजा होती है।
- हरभू जी शकुन शास्त्र के ज्ञाता थे।
- सांखला राजपूत परिवार से जुडे हुए थे।
- रामदेवी जी के मौसेरे भाई थे।
- सांखला राजपूतों के अराध्य देव माने जाते है।
- मण्डोर को मुक्त कराने के लिए हरभू जी ने राव जोधा को कटार भेट की थी। मण्डोर को मुक्त कराने के अभियान में सफल होने पर राव जी ने वेंगटी ग्राम हरभू जी को अर्पण किया था।

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