Folk goddesses of Rajasthan (राजस्थान की लोक देवियां) For Rajpolice, Patwar, Reet etc..... - JANGIR ACADEMY | Online Study Portal

Thursday, September 17, 2020

Folk goddesses of Rajasthan (राजस्थान की लोक देवियां) For Rajpolice, Patwar, Reet etc.....

राजस्थान की लोक देवियां (Folk goddesses of Rajasthan)

राजस्थान की लोक देवियां (Folk goddesses of Rajasthan)

इस पोस्ट में राजस्थान की प्रमुख लोक देवीयों का विस्तृत वर्णन किया गया है | लोक देवीयों के बारे में राजस्थान की लगभग हर एग्जाम में प्रश्न पूछे जाते है जैसे कि राजस्थान पुलिस, पटवार,रीट,एसआई आदि | 
आगामी समय में राजस्थान लेवल की सभी एग्जाम के लिए ये टॉपिक काफी महत्वपूर्ण है ...... 

(1) शीतला माता :-

- प्रमुख मंदिर : चाकसू (जयपुर)
- इस मंदिर का निर्माण माधोसिंह ने करवाया था।
- मुख्य पुजारी : कुम्हार
- सवारी : गधा
- मेला - चैत्र कृष्णा अष्टमी को इस दिन बाद छोड़ा मनाते हैं |
- जांटी (खेजड़ी) को शीतला माता मानकर पूजा जाता है।
- इनकी पूजा खंडित प्रतिमा के रूप में की जाती है।
- इसे चेचक की देवी व बच्चों की संरक्षिका देवी कहा जाता है।

 (2) अन्नपूर्णा माता :-

- प्रमुख मंदिर : आमेर (यह शीला देवी का दूध से धवल मंदिर है)
- इस मंदिर का निर्माण सवाई मानसिंह द्वितीय ने करवाया था।
- शिला माता की यह मूर्ति पाल शैली में काले संगमरमर से निर्मित है जिसे महाराजा मानसिंह ने 1604 में बंगाल के राजा केदार से लाए थे।
- इसमें राज परिवार की ओर से पूजा करने के बाद ही जन सामान्य के लिए मंदिर के द्वार खुलते हैं।

(3) जमवाय माता :-

 - प्रमुख मंदिर : जमवारामगढ़ (जयपुर)
 - ढूंढाड़ के कछवाहा राजवंश की कुलदेवी

(4) शीला देवी :-

- प्रमुख मंदिर : आमेर दुर्ग
- जयपुर के कछवाहा वंश की आराध्य / कुलदेवी है |
- इनकी प्रतिमा अष्टभुजी है |
- 16 वीं सदी में मानसिंह प्रथम ने पूर्वी बंगाल की विजय के पश्चात इस देवी को आमेर के महलों में स्थापित किया।

(5) करणीमाता :-

- प्रमुख मंदिर : देशनोक (बीकानेर)
- यह बीकानेर के राठौड़ शासकों की कुलदेवी है |
- यह चूहों वाली देवी के नाम से विख्यात है |
- करणी माता के मंदिर में सफेद चूहों को काबा कहा जाता  हैं।
- राव बीका ने बीकानेर राज्य की स्थापना करणी माता के आशीर्वाद से की थी।

 (6) ब्राह्मणी माता :-

- प्रमुख मंदिर : सोरसन (बांरा)
- मेला : माघ शुक्ल सप्तमी को
- विश्व का यह एकमात्र मंदिर है जहां देवी की पीठ का श्रंगार किया जाता है एवं देवी की पीठ की पूजा और दर्शन किए जाते हैं।

 (7) अंबिका माता :-

- प्रमुख मंदिर : जगत (उदयपुर)
- इसका मंदिर का निर्माण राजा अल्लट के काल में 18वीं शताब्दी में महामारु शैली में किया गया।
- जगत का मंदिर मेवाड़ का खजुराहो कहलाता है।

(8) जीण माता :-

- प्रमुख मंदिर : रेवासा (सीकर)
- मेला : चैत्र तथा आश्विन माह के नवरात्रों में
- यह चौहान वंश की आराध्य देवी है |
- इनके मंदिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान प्रथम के समय राजा हट्टड़ द्वारा करवाया गया था |
- इन के मंदिर में अष्टभुजी प्रतिमा है जो एक अवसर पर अढ़ाई प्याले मदिरापान करती है।

 (9) सुगाली माता :-

- प्रमुख मंदिर : आऊवा (पाली)
- आऊवा के ठाकुर परिवार की कुलदेवी है |
- इस देवी की प्रतिमा के 54 हाथ तथा 10 सिर है।
- इस मूर्ति को 1857 की क्रांति के समय अंग्रेजों द्वारा अजमेर लाकर रखा गया वर्तमान में पाली संग्रहालय में है।

(10) कैला देवी :-

- प्रमुख मंदिर : त्रिकूट पर्वत (करौली)
- मेला : नवरात्रों में
- करौली के यदुवंश (यादव वंश) की कुलदेवी है | 
- इनकी आराधना में लांगुरिया गीत गाए जाते हैं।
- कैला देवी मंदिर के सामने ही बोहरा की छतरी बनी हुई है।

 (11) तनोट माता :-

- प्रमुख मंदिर : तनोट (जैसलमेर)
- यह सैनिकों की माता, थार की वैष्णो देवी के रूप में विख्यात है |
- इस देवी की पूजा बीएसएफ के जवान करते हैं।

(12) सकराय माता :-

- प्रमुख मंदिर : उदयपुरवाटी (झुंझुनू) के समीप
- मेला : चैत्र और आश्विन माह के नवरात्रों में लगता हैं।
- यह खंडेलवालों की कुलदेवी है।
- अकाल पीड़ितों को बचाने के लिए इन्होंने फल, सब्जियां, कंदमूल उत्पन्न किए जिसके कारण यह शाकंभरी कहलाई।
- इनका अन्य मंदिर सांभर में व दूसरा सहारनपुर उत्तर प्रदेश में है।

(13) भदाणा माता :-

- प्रमुख मंदिर : भदाणा (कोटा)
- यह कोटा के शासकों की कुलदेवी है |
- भदाणा माता के मंदिर में मुठ (तांत्रिक प्रयोग से मारना) की झपट में आए व्यक्ति को मौत के मुंह से बचाया जाता है।

(14) रानी सती :-

- इनका मूलनाम : नारायणी
- प्रमुख मंदिर : झुंझुनू
- मेला – प्रतिवर्ष भाद्रपद अमावस्या को लगता है |
- ये दादीजी के नाम से लोकप्रिय है।

 (15) आई माता :-

- प्रमुख मंदिर : बिलाड़ा (जोधपुर)
- यह सीरवी जाति के क्षत्रियों की कुलदेवी है | 
- ये रामदेव जी की शिष्या थी |
- इन्हें मानी देवी (नवदुर्गा) का अवतार माना जाता है।
- इनका मंदिर दुरगाह व थान बडेर कहलाता है।
- बिलाड़ा के मंदिर के दीपक की ज्योति से केसर टपकती है।

(16) नकटी माता :-

- मंदिर : भवानीपुरा (जयपुर)
- यह प्रतिहार कालीन मंदिर है |

(17) जिलाणी माता :-

- मंदिर : बहरोड़ (अलवर)

(18)  पथवारी माता :-

- पथवारी देवी की स्थापना गांव के बाहर की जाती है।
- तीर्थयात्रा की कामना हेतु राजस्थान में पथवारी देवी की पूजा की जाती है।
- इन के चित्रों में नीचे काला – गोरा भैरू तथा ऊपर कावड़िया वीर गंगोज का कलश बनाया जाता है।

(19) बड़ली माता :-

- प्रमुख मंदिर – छिंपों के अकोला (चित्तौड़गढ़)
- माता की ताती बांधने से बीमार व्यक्ति ठीक हो जाता है।

 (20) सच्चियाय माता :-

- प्रमुख मंदिर – ओसियां (जोधपुर)
- यह  ओसवालों की कुलदेवी है।

(21) लटियाला / लुटियाल माता :-

- लुटियाल माता का मंदिर फलोदी जोधपुर में है जिसके आगे खेजड़ी (शमी) का वृक्ष स्थित है। इसलिए इन्हें खेजड़बेरी राय भवानी कहते हैं।
- अन्य मंदिर : बीकानेर के नया शहर में

 (22) आवड़ माता / स्वांगियाजी :-

- प्रमुख मंदिर – तेमड़ी पर्वत (जैसलमेर)
- यह जैसलमेर के भाटी राजवंश की कुलदेवी है |
- जैसलमेर के राज चिन्ह में सबसे ऊपर सुगन चिड़ी देवी का प्रतीक है।
- सुगन चिड़ी को माता का स्वरूप माना जाता है।

 (23) नारायणी माता :-

- प्रमुख मंदिर – बरवा की डूंगरी, राजगढ़ तहसील (अलवर) में है |
- इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में प्रतिहार शैली में हुआ है |
- मीणा जाति इन्हें अपनी आराध्य देवी मानती है।
- नाई जाति के लोग नारायणी माता को अपनी कुलदेवी मानते हैं |

(24) छींक माता :-

- प्रमुख मंदिर – जयपुर
- माघ सुदी सप्तमी को छींक माता की पूजा होती है।

(25) घेवर माता :-

- प्रमुख मंदिर – राजसमंद की पाल में
- घेवर माता मालवा की रहने वाली थी।


 (26) बाण माता :-

- मंदिर – केलवाड़ा (उदयपुर)
- सिसोदिया राजवंश की कुलदेवी।

(27) ज्वालामाता :-

- प्रमुख मंदिर – जोबनेर (जयपुर)
- यह खँगारोतो की कुलदेवी है |

(28) त्रिपुरा सुंदरी / तुरताई माता

- प्रमुख मंदिर – तलवाड़ा (बाँसवाड़ा)
- इनकी प्रतिमा काले पत्थर की अष्टादश भुजा की है |

(29) नागणेची माता :-

- प्रमुख मन्दिर – जोधपुर
- यह जोधपुर के राठौड़ो की कुल देवी है |
- इनका थान – नीम के वृक्ष के नीचे होता है |

(30)  दधिमती माता :-

- प्रमुख मंदिर – गोठ मांगलोद (नागौर)
- यह दाधीच ब्राह्मणों की कुलदेवी है |
- पुराणों में इसे कुशाक्षेत्र कहा गया है।

अन्य लोक देवियां

1.भद्रकाली माता – अमरपुरा थेहड़ी ( हनुमानगढ़ )
2. मंशा माता – चुरू
3. अम्बा माता – उदयपुर
4.घेवर माता – राजसमन्द
5. महामाई माता – पाटन ( सीकर ) व रेनवाल ( जयपुर )
6.राढासैण माता – देलवाड़ा ( उदयपुर )
7. घोटिया अम्बा – डूँगरपुर
8. छींछ माता – बांसवाड़ा
9.अर्बुदा देवी – माउण्टआबू
10.चारणी देवियाँ – जैसलमेर ( सात देवियाँ )
11.सच्चिया माता – नागौर
12. हिचकी माता – सनवाड़ ( सवाईमाधोपुर )
13. खोखरी माता – जोधपुर
14. विरात्रा माता – विरात्रा ( वाड़मेर )
15.मोरखाना माता – बीकानेर
16. ऊँटा माता -जोधपुर
17. तरताई माता – तलवाड़ा ( बांसवाड़ा )
18. जिलाणी माता – बहरोड़ ( अलवर )
19.चौधरा माता – भाद्राजन
20. इन्दरमाता – इन्दरगढ़ ( बूंदी )
21. हिंगलाज माता – लौद्रवा ( जैसलमेर )
22. भाँवल माता – मेड़ता ( नागौर )
23.जोगणिया माता – भीलवाड़ा
24. भ्रमर माता – सादड़ी
25. आवरी माता – निकुंभ ( चित्तौड़गढ़ )
26. चारभुजा माता – खमनौर ( हल्दीघाटी )
27. बिरवड़ा – चित्तौड़गढ़ दुर्ग में
28. राजेश्वरी माता – भरतपुर
29. आमजा माता – केलवाड़ा ( उदयपुर )
30. ब्याई माता – डिगों ( दौसा )
31. परमेश्वरी माता – कोलायत ( बीकानेर )
32. सुंडा देवी – सुंदा पर्वत ( भीनमाल )
33. हर्षद माता – आभानेरी ( दौसा )

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