राजस्थान की लोक देवियां (Folk goddesses of Rajasthan)
इस पोस्ट में राजस्थान की प्रमुख लोक देवीयों का विस्तृत वर्णन किया गया है | लोक देवीयों के बारे में राजस्थान की लगभग हर एग्जाम में प्रश्न पूछे जाते है जैसे कि राजस्थान पुलिस, पटवार,रीट,एसआई आदि |
आगामी समय में राजस्थान लेवल की सभी एग्जाम के लिए ये टॉपिक काफी महत्वपूर्ण है ......
(1) शीतला माता :-
- प्रमुख मंदिर : चाकसू (जयपुर)- इस मंदिर का निर्माण माधोसिंह ने करवाया था।
- मुख्य पुजारी : कुम्हार
- सवारी : गधा
- मेला - चैत्र कृष्णा अष्टमी को इस दिन बाद छोड़ा मनाते हैं |
- जांटी (खेजड़ी) को शीतला माता मानकर पूजा जाता है।
- इनकी पूजा खंडित प्रतिमा के रूप में की जाती है।
- इसे चेचक की देवी व बच्चों की संरक्षिका देवी कहा जाता है।
(2) अन्नपूर्णा माता :-
- प्रमुख मंदिर : आमेर (यह शीला देवी का दूध से धवल मंदिर है)- इस मंदिर का निर्माण सवाई मानसिंह द्वितीय ने करवाया था।
- शिला माता की यह मूर्ति पाल शैली में काले संगमरमर से निर्मित है जिसे महाराजा मानसिंह ने 1604 में बंगाल के राजा केदार से लाए थे।
- इसमें राज परिवार की ओर से पूजा करने के बाद ही जन सामान्य के लिए मंदिर के द्वार खुलते हैं।
(3) जमवाय माता :-
- प्रमुख मंदिर : जमवारामगढ़ (जयपुर)- ढूंढाड़ के कछवाहा राजवंश की कुलदेवी
(4) शीला देवी :-
- प्रमुख मंदिर : आमेर दुर्ग- जयपुर के कछवाहा वंश की आराध्य / कुलदेवी है |
- इनकी प्रतिमा अष्टभुजी है |
- 16 वीं सदी में मानसिंह प्रथम ने पूर्वी बंगाल की विजय के पश्चात इस देवी को आमेर के महलों में स्थापित किया।
(5) करणीमाता :-
- प्रमुख मंदिर : देशनोक (बीकानेर)- यह बीकानेर के राठौड़ शासकों की कुलदेवी है |
- यह चूहों वाली देवी के नाम से विख्यात है |
- करणी माता के मंदिर में सफेद चूहों को काबा कहा जाता हैं।
- राव बीका ने बीकानेर राज्य की स्थापना करणी माता के आशीर्वाद से की थी।
(6) ब्राह्मणी माता :-
- प्रमुख मंदिर : सोरसन (बांरा)- मेला : माघ शुक्ल सप्तमी को
- विश्व का यह एकमात्र मंदिर है जहां देवी की पीठ का श्रंगार किया जाता है एवं देवी की पीठ की पूजा और दर्शन किए जाते हैं।
(7) अंबिका माता :-
- प्रमुख मंदिर : जगत (उदयपुर)- इसका मंदिर का निर्माण राजा अल्लट के काल में 18वीं शताब्दी में महामारु शैली में किया गया।
- जगत का मंदिर मेवाड़ का खजुराहो कहलाता है।
(8) जीण माता :-
- प्रमुख मंदिर : रेवासा (सीकर)- मेला : चैत्र तथा आश्विन माह के नवरात्रों में
- यह चौहान वंश की आराध्य देवी है |
- इनके मंदिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान प्रथम के समय राजा हट्टड़ द्वारा करवाया गया था |
- इन के मंदिर में अष्टभुजी प्रतिमा है जो एक अवसर पर अढ़ाई प्याले मदिरापान करती है।
(9) सुगाली माता :-
- प्रमुख मंदिर : आऊवा (पाली)- आऊवा के ठाकुर परिवार की कुलदेवी है |
- इस देवी की प्रतिमा के 54 हाथ तथा 10 सिर है।
- इस मूर्ति को 1857 की क्रांति के समय अंग्रेजों द्वारा अजमेर लाकर रखा गया वर्तमान में पाली संग्रहालय में है।
(10) कैला देवी :-
- प्रमुख मंदिर : त्रिकूट पर्वत (करौली)- मेला : नवरात्रों में
- करौली के यदुवंश (यादव वंश) की कुलदेवी है |
- इनकी आराधना में लांगुरिया गीत गाए जाते हैं।
- कैला देवी मंदिर के सामने ही बोहरा की छतरी बनी हुई है।
(11) तनोट माता :-
- प्रमुख मंदिर : तनोट (जैसलमेर)- यह सैनिकों की माता, थार की वैष्णो देवी के रूप में विख्यात है |
- इस देवी की पूजा बीएसएफ के जवान करते हैं।
(12) सकराय माता :-
- प्रमुख मंदिर : उदयपुरवाटी (झुंझुनू) के समीप- मेला : चैत्र और आश्विन माह के नवरात्रों में लगता हैं।
- यह खंडेलवालों की कुलदेवी है।
- अकाल पीड़ितों को बचाने के लिए इन्होंने फल, सब्जियां, कंदमूल उत्पन्न किए जिसके कारण यह शाकंभरी कहलाई।
- इनका अन्य मंदिर सांभर में व दूसरा सहारनपुर उत्तर प्रदेश में है।
(13) भदाणा माता :-
- प्रमुख मंदिर : भदाणा (कोटा)- यह कोटा के शासकों की कुलदेवी है |
- भदाणा माता के मंदिर में मुठ (तांत्रिक प्रयोग से मारना) की झपट में आए व्यक्ति को मौत के मुंह से बचाया जाता है।
(14) रानी सती :-
- इनका मूलनाम : नारायणी
- प्रमुख मंदिर : झुंझुनू- मेला – प्रतिवर्ष भाद्रपद अमावस्या को लगता है |
- ये दादीजी के नाम से लोकप्रिय है।
(15) आई माता :-
- प्रमुख मंदिर : बिलाड़ा (जोधपुर)- यह सीरवी जाति के क्षत्रियों की कुलदेवी है |
- ये रामदेव जी की शिष्या थी |
- इन्हें मानी देवी (नवदुर्गा) का अवतार माना जाता है।
- इनका मंदिर दुरगाह व थान बडेर कहलाता है।
- बिलाड़ा के मंदिर के दीपक की ज्योति से केसर टपकती है।
(16) नकटी माता :-
- मंदिर : भवानीपुरा (जयपुर)- यह प्रतिहार कालीन मंदिर है |
(17) जिलाणी माता :-
- मंदिर : बहरोड़ (अलवर)(18) पथवारी माता :-
- पथवारी देवी की स्थापना गांव के बाहर की जाती है।- तीर्थयात्रा की कामना हेतु राजस्थान में पथवारी देवी की पूजा की जाती है।
- इन के चित्रों में नीचे काला – गोरा भैरू तथा ऊपर कावड़िया वीर गंगोज का कलश बनाया जाता है।
(19) बड़ली माता :-
- प्रमुख मंदिर – छिंपों के अकोला (चित्तौड़गढ़)- माता की ताती बांधने से बीमार व्यक्ति ठीक हो जाता है।
(20) सच्चियाय माता :-
- प्रमुख मंदिर – ओसियां (जोधपुर)- यह ओसवालों की कुलदेवी है।
(21) लटियाला / लुटियाल माता :-
- लुटियाल माता का मंदिर फलोदी जोधपुर में है जिसके आगे खेजड़ी (शमी) का वृक्ष स्थित है। इसलिए इन्हें खेजड़बेरी राय भवानी कहते हैं।- अन्य मंदिर : बीकानेर के नया शहर में
(22) आवड़ माता / स्वांगियाजी :-
- प्रमुख मंदिर – तेमड़ी पर्वत (जैसलमेर)- यह जैसलमेर के भाटी राजवंश की कुलदेवी है |
- जैसलमेर के राज चिन्ह में सबसे ऊपर सुगन चिड़ी देवी का प्रतीक है।
- सुगन चिड़ी को माता का स्वरूप माना जाता है।
(23) नारायणी माता :-
- प्रमुख मंदिर – बरवा की डूंगरी, राजगढ़ तहसील (अलवर) में है |- इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में प्रतिहार शैली में हुआ है |
- मीणा जाति इन्हें अपनी आराध्य देवी मानती है।
- नाई जाति के लोग नारायणी माता को अपनी कुलदेवी मानते हैं |
(24) छींक माता :-
- प्रमुख मंदिर – जयपुर- माघ सुदी सप्तमी को छींक माता की पूजा होती है।
(25) घेवर माता :-
- प्रमुख मंदिर – राजसमंद की पाल में- घेवर माता मालवा की रहने वाली थी।
(26) बाण माता :-
- मंदिर – केलवाड़ा (उदयपुर)- सिसोदिया राजवंश की कुलदेवी।
(27) ज्वालामाता :-
- प्रमुख मंदिर – जोबनेर (जयपुर)- यह खँगारोतो की कुलदेवी है |
(28) त्रिपुरा सुंदरी / तुरताई माता
- प्रमुख मंदिर – तलवाड़ा (बाँसवाड़ा)- इनकी प्रतिमा काले पत्थर की अष्टादश भुजा की है |
(29) नागणेची माता :-
- प्रमुख मन्दिर – जोधपुर- यह जोधपुर के राठौड़ो की कुल देवी है |
- इनका थान – नीम के वृक्ष के नीचे होता है |
(30) दधिमती माता :-
- प्रमुख मंदिर – गोठ मांगलोद (नागौर)- यह दाधीच ब्राह्मणों की कुलदेवी है |
- पुराणों में इसे कुशाक्षेत्र कहा गया है।
अन्य लोक देवियां
1.भद्रकाली माता – अमरपुरा थेहड़ी ( हनुमानगढ़ )2. मंशा माता – चुरू
3. अम्बा माता – उदयपुर
4.घेवर माता – राजसमन्द
5. महामाई माता – पाटन ( सीकर ) व रेनवाल ( जयपुर )
6.राढासैण माता – देलवाड़ा ( उदयपुर )
7. घोटिया अम्बा – डूँगरपुर
8. छींछ माता – बांसवाड़ा
9.अर्बुदा देवी – माउण्टआबू
10.चारणी देवियाँ – जैसलमेर ( सात देवियाँ )
11.सच्चिया माता – नागौर
12. हिचकी माता – सनवाड़ ( सवाईमाधोपुर )
13. खोखरी माता – जोधपुर
14. विरात्रा माता – विरात्रा ( वाड़मेर )
15.मोरखाना माता – बीकानेर
16. ऊँटा माता -जोधपुर
17. तरताई माता – तलवाड़ा ( बांसवाड़ा )
18. जिलाणी माता – बहरोड़ ( अलवर )
19.चौधरा माता – भाद्राजन
20. इन्दरमाता – इन्दरगढ़ ( बूंदी )
21. हिंगलाज माता – लौद्रवा ( जैसलमेर )
22. भाँवल माता – मेड़ता ( नागौर )
23.जोगणिया माता – भीलवाड़ा
24. भ्रमर माता – सादड़ी
25. आवरी माता – निकुंभ ( चित्तौड़गढ़ )
26. चारभुजा माता – खमनौर ( हल्दीघाटी )
27. बिरवड़ा – चित्तौड़गढ़ दुर्ग में
28. राजेश्वरी माता – भरतपुर
29. आमजा माता – केलवाड़ा ( उदयपुर )
30. ब्याई माता – डिगों ( दौसा )
31. परमेश्वरी माता – कोलायत ( बीकानेर )
32. सुंडा देवी – सुंदा पर्वत ( भीनमाल )
33. हर्षद माता – आभानेरी ( दौसा )
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