मगध महाजनपद (Magadha Mahajanapada) Indian History ! Part -2 For SCC, Bank, UPSC Exams... - JANGIR ACADEMY | Online Study Portal

Wednesday, September 9, 2020

मगध महाजनपद (Magadha Mahajanapada) Indian History ! Part -2 For SCC, Bank, UPSC Exams...

                       

मगध महाजनपद (Magadha Mahajanapada

                       मगध महाजनपद (Magadha Mahajanapada)


मगध महाजनपद (Magadha Mahajanapada) Indian History ! Part - 1 For SCC, Bank, UPSC Exams...

मगध साम्राज्य की उत्पत्ति उस समय हुई थी जब 6 शताब्दी ईसा पूर्व से 4 शताब्दी ई.पू. तक चार महाजनपद मगध, कोशल, वत्स और अवंती एक-दूसरे के ऊपर वर्चस्व स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहे थे| अंततः मगध उत्तर भारत में सबसे शक्तिशाली और समृद्ध साम्राज्य के रूप में उभरा |

शुंग राजवंश 

पुष्यमित्र शुंग- 

- शुंग साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी।
- पुष्यमित्र का साम्राज्य उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में बरार तक तथा पश्‍चिम में पंजाब से लेकर पूर्व में मगध तक फ़ैला हुआ था।
- मौर्य साम्राज्य के अन्तिम शासक वृहद्रथ की हत्या करके 184 ई.पू. में पुष्यमित्र ने शुंग वंश की स्थापना की।
- शुंग ब्राह्मण थे।
- पुष्यमित्र अन्तिम मौर्य शासक वृहद्रथ का प्रधान सेनापति था।
-  पुष्यमित्र शुंग के पश्चात इस वंश में नौ शासक और हुए जिनके नाम थे -अग्निमित्र, वसुज्येष्ठ, वसुमित्र, भद्रक, तीन अज्ञात शासक, भागवत और देवभूति।
- एक दिन सेना का निरिक्षण करते समय वृह्द्र्थ की धोखे से हत्या कर दी।
- राजा बनने पर पुष्यमित्र न ‘सेनानी’ की उपाधि धारण की थी
- इसका काल वैदिक प्रतिक्रिया अथवा वैदिक पुनर्जागरण का काल कहलाता है
- शुंग राजाओं का काल वैदिक अथवा ब्राह्मण धर्म का पुनर्जागरण काल माना जाता है।
- स्वर्ण मुद्रा निष्क, दिनार, सुवर्ण, मात्रिक कहा जाता था। ताँबे के सिक्‍के काषार्पण कहलाते थे। चाँदी के सिक्‍के के लिए ‘पुराण’अथवा ‘धारण’ शब्द प्रयोग होता था।
- शुंग काल के उत्कृष्ट नमूने बिहार के बोधगया से प्राप्त होते हैं। भरहुत, सांची, बेसनगर की कला भी उत्कृष्ट है।
- पुष्यमित्र ने अशोक द्वारा निर्माण करवाये गये 84 हजार स्तूपों को नष्ट करवाया।
- पुराणों के अनुसार पुष्यमित्र ने 36 वर्षों तक शासन किया। इस प्रकार उसका काल ई.पू से 148 ई.पू.तक माना जाता है।

अग्निमित्र- 

- पुष्यमित्र की मृत्यु (148 इ.पू.) के पश्‍चात उसका पुत्र अग्निमित्र शुंग वंश का राजा बना।
- वह विदिशा का उपराजा था। उसने कुल 8 वर्षों तक शासन कीया।

वसुज्येष्ठ या सुज्येष्ठ -

 अग्निमित्र के बाद वसुज्येष्ठ राजा हुआ।

वसुमित्र - 

- शुंग वंश का चौथा राजा वसुमित्र हुआ। उसने यवनों को पराजित किया था।
- उसने 20 वर्षों तक शासन किया ।
 - वसुमित्र के बाद भद्रक, पुलिंदक, घोष तथा फिर वज्रमित्र क्रमशः राजा हुए।
- इसके शाशन के 14 वें वर्ष में तक्षशिला के यवन नरेश एंटीयालकीड्स का राजदूत हेलियोंडोरस उसके विदिशा स्थित दरबार में उपस्थित हुआ था।
- शुंग वंश के अन्तिम सम्राट देवभूति की हत्या करके उसके सचिव वसुदेव ने 75 ई. पू.में कण्व वंश की नींंव डाली।

यवनों का आक्रमण - 

 * यवनों को मध्य देश से निकालकर सिन्धु के किनारे तक खदेङ दिया और पुष्यमित्र के हाथों सेनापति एवं राजा के रूप में उन्हें पराजित होना पङा। यह पुष्यमित्र के काल की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी।

कण्व राजवंश

- शुंग वंश के अन्तिम शासक देवभूति के मन्त्रि वसुदेव ने उसकी हत्या कर कण्व वंश की स्थापना की।
- कण्व वंश ने 75 इ.पू. से 30 इ.पू. तक शासन किया।
- वसुदेव पाटलिपुत्र के कण्व वंश का प्रवर्तक था।
- वैदिक धर्म एवं संस्कृति संरक्षण की जो परम्परा शुंगो ने प्रारम्भ की थी। उसे कण्व वंश ने जारी रखा।
- इस वंश का अन्तिम सम्राट सुशमी कण्य अत्यन्त अयोग्य और दुर्बल था। और मगध क्षेत्र संकुचित होने लगा।
 कण्व वंश का साम्राज्य बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सीमित हो गया और अनेक प्रान्तों ने अपने को स्वतन्त्र घोषित कर दिया तत्पश्चात उसका पुत्र नारायण और अन्त में सुशमी जिसे सातवाहन वंश के प्रवर्तक सिमुक ने पदच्युत कर दिया था।

 कुषाण वंश

-कुषाण शासक कनिष्क द्वारा पाटलिपुत्र पर आक्रमण किये जाने और यह के प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान अश्वघोष को अपने दरबार में प्रश्रय देने की चर्चा मिलती है।
- कुषाण साम्राज्य के पतन के बाद मगध पर लिच्छवियों का शासन रहा।
- अन्य विद्वान मगध पर शक मुण्डों का शासन मानते हैं।
- मगध 9 भागों के पूर्वी भाग में स्थित था जिसमें भारत के उप-महाद्वीप को विभाजित किया गया था। मगध उत्तर में गंगा नदी से, पश्चिम में वाराणसी जिले से, पूर्व में हिरण्यपर्वत या मोंगहिर से, और दक्षिण में किरण सुपवाना या सिंहभूम से घिरा था।

- मगध भारत का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र था क्योंकि यह सांस्कृतिक परिवर्तन का केंद्र था। 7 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में मगध पर शासन करने वाले राजा उद्यमी थे।

- मगध के प्राचीन सांस्कृतिक इतिहास में इंडो आर्यन संस्कृति का वर्चस्व मिलता है। बौद्ध धर्म, जैन धर्म और हिंदू धर्म वहां का लोकप्रिय धर्म था। बौद्ध धर्म और जैन धर्म का प्रचार प्रारंभिक मगध राजाओं जैसे स्रेनिका, बिम्बिसार और अजातशत्रु द्वारा किया गया था, जबकि नंद राजवंश ने जैन धर्म का पालन किया था।

मगध की अर्थव्यवस्था

- शंख के लिए मगध प्रसिद्ध था।
- सफेद हाथियों का इस्तेमाल शाही परिवार द्वारा किया जाता था।
- कृषि समृद्ध थी, और कुछ ब्राह्मण मगध में स्वयं खेती करते थे।
- बर्फीली नदियों और दोआब क्षेत्रों के अस्तित्व के कारण, मगध को खेती के उद्देश्य से भी अच्छी तरह से विभाजित किया गया था।

मगध में पुरातात्विक स्थल
- मगध में पुरातात्विक स्थल लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं।
- राजगृह, सोन भंडार गुफाएँ, बौद्ध स्तूप, अजातशत्रु स्तूप, बिंबिसार का महल, नालंदा में पुरातत्व स्थल और मगध में बुद्ध युग की गुफाएँ हैं।

मगध महाजनपद (Magadha Mahajanapada) Indian History ! Part - 1 For SCC, Bank, UPSC Exams...

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