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Monday, September 14, 2020

Sources of information of Mauryan Empire (मौर्य साम्राज्य की जानकारी के स्रोत) For Bank, SCC, UPSC, etc...

Sources of information of Mauryan Empire (मौर्य साम्राज्य की जानकारी के स्रोत)

Sources of information of Mauryan Empire (मौर्य साम्राज्य की जानकारी के स्रोत)

नमस्कार दोस्तों इंडिया जीके की इस सीरीज में हमें मौर्य साम्राज्य की जानकारी के स्रोत को जानेंगे, इस टॉपिक से जुड़े प्रश्न सभी एग्जाम में पूछे जाते है, जैसे : - UPSC exam, bank, SSC Etc.....

- रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख
- कौटिल्य का अर्थशास्त्र
- मेगस्थनीज की इंडिका
- विशाखदत्त की मुद्राराक्षस
- सोमदेव का कथासरित्सागर
- क्षोमेन्द्र की वृहत् कथा मंजरी
- कल्हण की राजतरंगिणी

अशोक के अभिलेख

 - अशोक के अभिलेखों से उसके प्रशासन, धम्म व उसके निजी जीवन की जानकारी प्राप्त होती है।
 - 1750 में टिफेंथेलर के द्वारा अशोक के दिल्ली मेरठ स्तम्भलेख को सर्वप्रथम खोजा गया था। जबकि 1837 में जेम्स प्रिंसेप के द्वारा अशोक के दिल्ली टोपरा स्तम्भलेख को पढ़ा गया  था।
- अशोक के अभिलेखों की भाषा प्राकृत भाषा थी। लिपि ब्राह्मी, खरोष्टि, ग्रीक, आरेमाइक है।
 * लघु शिलालेख, वृहद् स्तम्भलेख, लघु स्तम्भलेख तथा गुहालेख की लिपि ब्राह्मी है।
 * शाहबाजगढ़ी व मनसेहरा से प्राप्त अभिलेखों की लिपि खरोष्टि है।

(A) शिलालेख :-

*  वृहद् शिलालेख :-

- 8 स्थानों से प्राप्त हुए (शाहबाजगढ़ी, मनसेहरा, धौली, जोगढ़, एर्रागुड्डी, सोपारा, गिरनार, काल्सी)
- इन्हें चतुर्दश शिलालेख कहा जाता है।
- अशोक के 13वें अभिलेख से कलिंग आक्रमण की जानकारी मिलती है।
- अशोक के तीसरे लेख में प्रादेशिक, रज्जुक व युक्त नामक अधिकारियों का उल्लेख मिलता है।
- अशोक के पांचवे लेख में धम्म महमात्रो की नियुक्ति का उल्लेख मिलता है।

* लघु शिलालेख :-

- गुर्जरा, मास्की, नेतुर, उदेगोलेम, भाब्रू स्थानों से प्राप्त हुए है |
- लघु शिखालेख में अशोक के व्यक्तिगत जीवन की जानकारी मिलती है।
- मास्की लघु शिलालेख में अशोक को बुद्ध शाक्य कहा गया है।
- भाब्रू लघु शिलालेख को त्रिरत्न शिलालेख कहा गया है क्योंकि अशोक इसमें बौद्ध धर्म के त्रिरत्न बुद्ध, धम्म व संघ के प्रति आस्था प्रकट करता है।

 (B) स्तम्भ लेख :-

* वृहद् स्तम्भलेख :-

- दिल्ली-टोपरा, दिल्ली-मेरठ, लोरिया-अरराज, लोरिया-नन्दनगढ़, रामपुरवा, प्रयाग स्थानों से प्राप्त हुए।
- इनकी संख्या 7 है जो 6 स्थानों से प्राप्त हुए।
- दूसरे व सातवें स्तम्भलेख से धम्म की जानकारी मिलती है।
- दिल्ली-टोपरा स्तम्भलेख को सुनहरी लाट, भीम लाट, शिवालिक लाट भी कहा जाता है।

* लघु स्तम्भलेख :-

- सांची, सारनाथ स्थानों से प्राप्त हुए | 
- सारनाथ लघु स्तम्भलेख से चार सिंह के नीचे चार पशु आकृति प्राप्त हुई – हाथी, घोड़ा, वृषभ, सिंह।
- सांची स्तम्भ लेख में चार सिंह के नीचे दाना चुगते हुए हँस की आकृति है।

 (C) गुहालेख :-

- अशोक ने बिहार स्थित बराबर की पहाड़ियों में आजीवक सम्प्रदाय के लिए सुदामा, कर्ण-चौपार, विश्व झोपड़ी नामक गुफाओं का निर्माण करवाया था।
- अशोक के पौत्र दशरथ ने बिहार स्थित नागार्जुन की पहाड़ियों में आजीवक सम्प्रदाय के लिए गोपी, लोमर्षि, वडथिका गुफाओं का निर्माण करवाया था।

 (D) रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख :-

- सुरदर्शन झील की जानकारी मिलती है |
- जूनागढ़ अभिलेख में दो मौर्य शासकों चन्द्रगुप्त मौर्य व अशोक का उल्लेख है

(E) मेगस्थनीज :-

- मेगस्थनीज सेल्युकस निकेटर का राजदूत था।
- चन्द्रगुप्त मौर्य के समय भारत आया था।
-इसकी पुस्तक -इंडिका (1891 में मैक्रिण्डल ने इंडिका का अंग्रेजी में अनुवाद किया)
- पुस्तक से जानकारी – मौर्यकालीन नगर प्रशासन, मौर्यकालीन सैन्य प्रशासन, भूराजस्व 1/4 लिया जाता था।
- मेगस्थनीज ने उत्तरापथ का भी उल्लेख किया था ।

(F) कौटिल्य की अर्थशास्त्र :-

- इसकी भाषा – संस्कृत भाषा 
- इसके भाग – 15 (अधिकरण)
- इसके उपभाग – 180 (प्रकरण)
- इसमें श्लोक – 6000
- 1909 में शाम शास्त्री ने इसका प्रकाशन किया था।
- प्रथम अधिकरण :- विनियाधिकारिक – राजा के व्यवहार का वर्णन मिलता है |
- द्वितीय अधिकरण :- अध्यक्ष प्रचार – अध्यक्षों के कार्य व उनके विभागों का वर्णन मिलता है |
- तृतीय अधिकरण :- धर्मस्थीय – दीवानी न्यायालयों से सम्बंधित वर्णन मिलता है |
- चौथा अधिकरण :- कंटक शोधन – फौजदारी न्यायालयों से सम्बंधित वर्णन मिलता है |
- पांचवाँ अधिकरण :- योगवृत – प्रशासनिक अधिकारियों के कर्तव्यों का उल्लेख मिलता है |
- छठा अधिकरण :- मण्डल योनि – राज्य के सप्तांग का वर्णन (राजा, अमात्य, जनपद, दुर्ग, मित्र, सेना, कोष)
- अर्थशास्त्र में किसी भी मौर्य शासक के नाम व उनकी राजधानी का उल्लेख नही मिलता है।

* कौटिल्य के अनुसार 9 प्रकार के दास थे।
* अर्थशास्त्र के अनुसार भू-राजस्व 1/6 लिया जाना चाहिए।

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