राजस्थान के प्रमुख त्यौहार (Major festivals of Rajasthan) Part - 1 For Rajasthan Police, Patwar, Reet, etc... - JANGIR ACADEMY | Online Study Portal

Monday, September 14, 2020

राजस्थान के प्रमुख त्यौहार (Major festivals of Rajasthan) Part - 1 For Rajasthan Police, Patwar, Reet, etc...

राजस्थान के प्रमुख त्यौहार (Major festivals of Rajasthan)

राजस्थान के प्रमुख त्यौहार (Major festivals of Rajasthan)


इस पोस्ट में राजस्थान की प्रमुख त्यौहारौ का विस्तृत वर्णन किया गया है | त्यौहारौ के बारे में राजस्थान की लगभग हर एग्जाम में प्रश्न पूछे जाते है जैसे कि राजस्थान पुलिस, पटवार,रीट,एसआई आदि | 
आगामी समय में राजस्थान लेवल की सभी एग्जाम के लिए ये टॉपिक काफी महत्वपूर्ण है। ...... 

(1) अक्षय तृतीया/आखा तीज (वैषाख शुक्ल तृतीया)

- इस दिन से सतयुग व त्रेता युग का आरम्भ माना जाता है। इसे आखा तीज भी कहते है।
- इस दिन राजस्थान में सर्वाधिक बाल-विवाह होते है।


(2) घींगा गंवर गणगौर (वैषाख कृष्ण तीज)

- धींगा गंवर बैंत मार मेला जोधपुर में आयोजित होता है।

(3) वैषाख पूर्णिमाः- 

- इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।
- इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था।

(4) वट सावित्री पर्व व्रत / बड़मावस (ज्येष्ठ अमावस्या)

- इस दिन बरगद की पूजा की जाती है।
- इस व्रत से स्त्री को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।


(5) धुलण्डी {चैत्र कृष्ण एकम् (रंगो का पर्व)}

- होली के दूसरे दिन धुलण्डी मनायी जाती है।
- इस दिन होली की राख की वंदना की जाती है, व रंग, गुलाल आदि से होली खेलते है।

(6) करवा चैथ (कार्तिक कृष्ण चतुर्थी)

(7) अहोई अष्टमी (कार्तिक कृष्ण अष्टमी)

- स्याऊं माता की पूजा की जाती है।
- इस दिन पुत्रवती स्त्रियां निर्जल व्रत करती है।

(8) तुलसी एकादशी (कार्तिक कृष्ण एकादशी)

(9) धनतेरस (कार्तिक कृष्ण श्रयोदशी)

- धनतेरस आयुर्वेदाचार्य धन्वतरी की स्मृति में मनाया जाता है।
- यमराज की पूजा की जाती है।

(10) गणगौर (चैत्र शुक्ल तृतीया)

- यह गणगौर, शिव व पार्वती के अखंड प्रेम का प्रतीक पर्व है।
- गणगौर से पूर्व (1 दिन) सिंजारा भेजा जाता है।
- इस दिन कुँवारी कन्याएं मनपसंद वर प्राप्ति का तथा विवाहित स्त्रियां अपने अखंड सौभाग्य की कामना करती है।
- जयपुर की गणगौर प्रसिद्ध है।
- बिना ईसर की गणगौर जैसलमेर की प्रसिद्ध है।
- इस त्यौहार से त्यौहारों की समाप्ति मानी जाती है।

(11)  रामनवमी (चैत्र शुक्ल नवमी)

- मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मदिवस के रूप में यह त्यौहार मनाया जाता है।
- इस दिन रामायण का पाठ किया जाता है।

(12) नाग पंचमी – श्रावण कृष्ण पंचमी

- यह नागों का त्यौहार है इस दिन सर्प की पूजा की जाती है।
- इस दिन मण्डोर (जोधपुर) में तीरपुरी का मेला भरता है।

(13) हरियाली अमावस्या (श्रावण अमावस्या)

- हरियाली अमावस्या मेंला/ कल्पवृक्ष मेला इसी दिन मांगलियावास (अजमेर) में भरता है।
- छोटी तीज/झूला तीज/श्रावणी तीज/हरियाली

(14) तीज  (श्रावण शुक्ल तीज)

- तीज की सवारी के लिए जयपुर प्रसिद्ध है।
- इस दिन से त्यौहारों का आगमन माना जाता है।

(15) रक्षाबंधन (श्रावण पूर्णिमा)

- इसे नारियल पूर्णिमा भी कहते है।

(16) कजली तीज/बडी तीज/सातुडी तीज  (भाद्र कृष्ण तीज)

- कजली तीज बूंदी की प्रसिद्ध है। 
- यह त्यौहार स्त्रियों द्वारा सुहाग की दीर्घायु व मंगलकामना के लिए मनाया जाता है।

(17) जन्माष्टमी (भाद्र कृष्ण अष्टमी)

- इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस होता है।
- यह पर्व पूर्वी क्षेत्र में लोकप्रिय है।

(18) गोगानवमी (भाद्रपद कृष्ण नवमी)

- इस दिन हनुमागढ़ जिले में गोगामेड़ी नामक स्थान पर मेला भरता है।

(19) बच्छब्बारस (भाद्रपद कृष्ण द्वादषी)

- इस दिन पुत्रवती स्त्रियां पुत्र की मंगलकामना के लिए व्रत करती है।
- बछडे की पूजा की जाती है।

(20) गणेश चतुर्थी (भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी)

- इस दिन रणथम्भौर (सवाईमाधोपुर) में इस दिन मेला भरता है।
- यह महाराष्ट्र का प्रमुख त्यौहार है।
- महाराष्ट्र में इसकी शुरूआत बाल गंगाधर तिलक द्वारा की गई।

(21) राधाष्टमी (भाद्रपद शुक्ल अष्ठमी)

- इस दिन निम्बार्क सम्प्रदाय का मेला सलेमाबाद (अजमेर) में भरता है।

(22) देव झुलनी/जल झुलनी एकादशी (भाद्रपद शुक्ल एकादशी)

- बेवाण, पर देवताओं की सवारी निवाली जाती है।
- सांवलिया जी का मेला मण्डफिया से इसी दिन भरता है।

(23) नवरात्र (आश्विन शुक्ल एकम् से शुक्ल नवमी तक)

- शारदीय नवरात्रे कहलाते है।

(24) दुर्गाष्टमी (आश्विन शुक्ल अष्टमी)

- बंगाल (भारत) व बागड़ (राजस्थान) में इस दिन मेले भरते है।

(25) शीतलाष्टमी (चैत्र कृष्ण अष्टमी)

- इस दिन शीतलामाता की पूजा की जाती है। व ठंडा भोजन किया जाता है।
- चाकसू (जयपुर) में शीतला माता का मेला भरता है।
- मारवाड में घुड़ला पर्व इस दिन मनाया जाता है।

(24) वर्ष प्रतिपदा/नवसवत्सर (चैत्र शुक्ल एकम्)

- विक्रमादित्य मेला इसी दिन भरता है।
- हिंदुओ का नववर्ष इसी दिन प्रारम्भ होता है।
- इस दिन गुड़ी पड़वा का त्यौहार भी मनाया जाता है।

(25)  नवरात्र  (चैत्र शुक्ल एकम् से चैत्र शुक्ल नवमी तक)

- चैत्र मास के नवरात्रे, बसन्तीये नवरात्र कहलाते है।
- अश्विन मास के नवरात्रे शरदीय/केसूला नवरात्र कहलाते है।


(26) दशहरा (आश्विन शुक्ल दशमी)

- इसे विजयदशमी भी कहते है।
- इस दिन खेजड़ी वृक्ष की पूजा की जाती हैं |
- कोटा का दशहरा मेला प्रसिद्ध है।
- कोटा में दशहरे मेले की शुरूआत माधोसिंह हाडा ने की

(27) शरद पूर्णिमा (आश्विन पूर्णिमा)

- इस दिन चन्द्रमा अपनी सौलह कलाओं से परिपूर्ण होता है।
- मेवाड़ में इस दिन मीरा महोत्सव मनाया जाता है।
- सालासर (चूरू) मेला भी इसी दिन भरता है।

(28) रूप चतुर्दषी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दषी)

- इसे छोटी दीपावली भी कहते है।
- इस पर्व का सम्बंध स्वच्छता व सौन्दर्य से है।

(29) दीपावली (कार्तिक अमावस्या)

- हिंदुओ का सबसे बड़ा त्यौहार है।
- इस दिन भगवान राम चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण करके अयोध्या में लौटे थे।

(30) गोवर्धन पूजा (कार्तिक शुक्ल एकम्)

- इस दिन नाथद्वारा (राजसमंद) मे अन्नकूट का पर्व मनाया जाता है।

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