राजस्थान के प्रमुख संत और सम्प्रदाय
(Major saints and communities of Rajasthan)
(Major saints and communities of Rajasthan)
9. रामस्नेही सम्प्रदाय
- प्रधान पीठ:-शाहपुरा (भीलवाडा) प्राचीन पीठ- बांसवाडा में थी।- इस सम्प्रदाय की चार शाखाऐं है।
1.शाहपुरा (भीलवाडा) : संस्थापक -रामचरणदास जी(रामचरण दास जी का जन्म सोडाग्राम (टोंक) में हुआ।) काव्यसंग्रह- अनभैवाणी
2.रैण (नागौर) - दरियाव जी
3.सिंहथल (बीकानेर) हरिराम दास जी- रचना:- निसानी
4.खैडापा (जोधपुर)- रामदास जी
- इस सम्प्रदाय के साधु गुलाबी वस्त्र धारण करते है तथा दाडी-मूंछ नही रखते है।
- यह वैष्णव मत की निर्गणु भक्ति उपसक विचारधारा रखने वाली शाखा है।
- इस सम्प्रदाय की स्थापना रामानंद जी के ही शिष्यों ने राजस्थान में अलग-अलग क्षेत्रों में क्षेत्रिय शाखाओं द्वारा की।
संत किशनदास महाराज
- संत किसनदासजी दरियावजी साहब के चार प्रमुख शिष्यों में से एक हैं।इनका जन्म वि.सं. 1746 माघ शुक्ला 5 को हुआ।
रामद्वारा मंदिर
-राजस्थान के नागौर में बने संत किशनदास महाराज रामद्वारा मंदिर में उसी बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है, जिससे गुजरात और दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर बने हैं।- नागौर से करीब 30 किमी दूर स्थित टांकला गांव में यह रामद्वारा मंदिर बारीक घड़ाई और नक्काशी के लिए भी जाना जाता है। मंदिर ट्रस्ट का दावा है कि इस तरह की बारीक घड़ाई और बेजोड़ नक्काशी प्रदेश में किसी भी दूसरे मंदिर में देकने को नहीं मिलती है।
10. राजा राम सम्प्रदाय
- संस्थापक - राजाराम जी- प्रधान पीठ - शिकारपुरा (जोधपुर)
- संत राजा राम जी पर्यावरण प्रेमी व्यक्ति थे।
- इन्होंने वन तथा वन्य जीवों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
11. नवल सम्प्रदाय
- संस्थापक -नवल दास जी- प्रधान पीठ - जोधपुर
- जोधपुर व नागौर क्षेत्र में लोकप्रिय है।
12. अलखिया सम्प्रदाय
- संस्थापक -स्वामी लाल गिरी- प्रधान पीठ - बीकानेर
- प्रभाव क्षेत्र -चुरू व बीकानेर
- पवित्र ग्रन्थ:- अलख स्तुति प्रकाश
13. निरजंनी सम्प्रदाय
- संस्थापक - संत हरिदास जी (डकैत)- जन्म - कापडौद (नागौर)
- प्रधान पीठ - गाढा (नागौर)
- दो शाखाऐं है - 1.निहंग
2. घरबारी
14. निष्कंलक सम्प्रदाय
- संस्थापक - संत माव जी- जन्म :- साबला ग्राम - आसपुर तहसील (डूंगरपुर)
- संत माव जी को ज्ञान की प्राप्ति बेणेश्वर धाम (डूंगरपुर) में हुई |
- मावजी का ग्रन्थ/ उपदेश चैपडा कहलाता है। यह बागड़ी भाषा मे लिखा गया है।
- माव जी बागड़ क्षेत्र में लोकप्रिय है।
15. मीरा दासी सम्प्रदाय
- संस्थापक - मीरा बाई(मीरा बाई को राजस्थान की राधा कहते है।)- प्रधान पीठ- मेड़ता सिटी (नागौर)
- जन्म:- कुडकी ग्राम (नागौर) में हुआ था।
- पिता का नाम :- रत्न सिंह राठौड़
- दादा का नाम :- रावदूदा
- राणा सांगा के बडे़ पुत्र भोजराज से मीरा बाई का विवाह हुआ और 7 वर्ष बाद उनके पति की मृत्यु हो गई।
- पति की मृत्यु के पश्चात् मीराबाई ने श्री कृष्ण को अपना पति मानकर दासभाव से पूजा-अर्जना की शुरू कर दी
- मीरा बाई ने अपना अन्तिम समय गुजरात के राणछौड़ राय मंदिर में व्यतीत किया और यहीं श्री कृष्ण जी की भक्ति में लीन हो गई।
- मीरा बाई के दादा रावदूदा ने मीरा के लिए मेड़ता सिटी में चार भुजा नाथ मंदिर (मीरा बाई का मंदिर) का निर्माण करवाया।
मीरा बाई के मंदिर - मेडता सिटी, चित्तौड़ गढ़ दुर्ग में।
मीरा बाई की रचनाऐं
1.मीरा पदावलिया (मीरा बाई द्वारा रचित)2.नरसी जी रो मायरो- रतना खाती द्वारा रचित( (मीरा बाई के निर्देशन में)
- डाॅ गोपीनाथ शर्मा के अनुसार मीरा बाई का जन्म कुडकी ग्राम में हुआ जो वर्तमान में जैतरण तहसील (पाली) में है।
- कुछ अन्य इतिहासकार मीरा बाई का जन्म बिजौली ग्राम (नागौर) में बताते है। उनके अुनसार मीर बाई का बचपन कुडकी ग्राम में बीता था ।
16. संत धन्ना
- जन्म - धुंवल गांव (टोंक) में जाट परिवार में हुआ।- संत धन्ना रामानंद जी के शिष्य थे।
17. संत पीपा
- जन्म - गागरोनगढ़ (झालावाड़) में हुआ।- पिता का नाम - कडावाराव खिंची
-बचपन का नाम - प्रताप
- पीपा क्षत्रिय दरजी सम्प्रदाय के लोकप्रिय संत थे।
- प्रमुख मंदिर -समदडी (बाडमेर)
- गुफा - टोडाराय (टोंक)
- समाधि स्थल - गागरोनगढ़ (झालावाड़)
- राजस्थान में भक्ति आन्दोलन का प्रारम्भकर्ता संत पीपा को माना जाता है।
18. संत रैदास
- यह मीरा बाई के गुरू थे।- रामानंद जी के शिष्य थे।
- इनकी छत्तरी चित्तौड़गढ दुर्ग में स्थित है।
- मेघवाल जाति से थे।
19. गवरी बाई
- गवरी बाई को बागड़ की मीरा कहते है।- डूंगरपुर के महारावल शिवसिंह ने डूंगरपुर में गवरी बाई का मंदिर बनवाया जिसका नाम बाल मुकुन्द मंदिर रखा गया।
- गवरी बाई बागड़ क्षेत्र में श्री कृष्ण की अनन्य भक्तिनी मानी जाती थी।
20. भक्त कवि दुर्लभ
- ये कृष्ण भक्त थे।- इन्हे राजस्थान का नृसिंह कहा जाता है।
- ये बागड़ क्षेत्र के प्रमुख संत है।
21. संत खेता राज जी
- संत खेता राम जी ने बाड़मेंर में आसोतरा नामक स्थान पर ब्रहा्रा जी का मंदिर निर्मित करवाया था।सगुण-निर्गुण भक्ति धारा
निष्कंलक सम्प्रदाय, चरणदासी सम्प्रदायसगुण भक्ति धारा
वैष्णव मत, शैवमत, मीरा दासी सम्प्रदाय, जसनाथी सम्प्रदाय, विश्नोई सम्प्रदाय।
निर्गुण भक्ति धारा
दादू सम्प्रदाय, लालदासी सम्प्रदाय, प्राणना थी सम्प्रदाय, रामस्नेही सम्प्रदाय, राजा राम सम्प्रदाय, अलखिया सम्प्रदाय, निरजंनी सम्प्रदाय,Click Here To Read Current Affairs
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