राजस्थान के प्रमुख संत और सम्प्रदाय (Major saints and communities of Rajasthan) Part-1 - JANGIR ACADEMY | Online Study Portal

Thursday, September 3, 2020

राजस्थान के प्रमुख संत और सम्प्रदाय (Major saints and communities of Rajasthan) Part-1

राजस्थान के प्रमुख संत और सम्प्रदाय
(Major saints and communities of Rajasthan)
राजस्थान के प्रमुख संत और सम्प्रदाय  (Major saints and communities of Rajasthan)

1. जसनाथी सम्प्रदाय

- संस्थापक - जसनाथ जी जाट
- जन्म :- 1482 ई. में कतरियासर (बीकानेर) में हुआ था।
- जसनाथी संप्रदाय की प्रधान पीठ :- कतरियासर (बीकानेर) [दिल्ली के सुलतान सिकंदर लोदी ने जसनाथ जी    को प्रधान पीठ स्थापित करने के लिए भूमि दान में दी थी।]
- इस सम्प्रदाय की पांच उप-पीठे है।
1.बमलू (बीकानेर)
2. लिखमादेसर (बीकानेर)
3.पूनरासर (बीकानेर)
4. मालासर (बीकानेर)
5.पांचला (नागौर)
- यह सम्प्रदाय मे 36 नियमों का पालन किया जाता है।
- इसका पवित्र ग्रन्थ सिमूदड़ा और कोडाग्रन्थ है।
- जसनाथ जी को ज्ञान की प्राप्ति " गोरखमालिया (बीकानेर)" नामक स्थान पर हुई।
- इस सम्प्रदाय का प्रचार-प्रसार " परमहंस मण्डली" द्वारा किया जाता है।
- इस सम्प्रदाय के लोग अग्नि नृत्यय में सिद्धहस्त होते है।, जिसके दौरान सिर पर मतीरा फोडने की कला का प्रदर्शन किया जाता है।

2. दादू सम्प्रदाय

 - संस्थापक : - दादू दयाल जी (भैराणा की पहाडियां (जयपुर) में तपस्या की थी।)
 - जन्म:- 1544 ई. में अहमदाबाद (गुजरात)
 - गुरू:- वृद्धानंद जी (कबीर वास जी के शिष्य) थे।
 - उपनाम:-  कबीरपंथी सम्प्रदाय
 - भाषा:- सधुकड़ी (ढुढाडी व हिन्दी का मिश्रण)
 - प्रमुख ग्रन्थ :-: दादू वाणी, दादू जी रा दोहा
 - प्रधान पीठ:- नरेना/नारायण (जयपुर) 
 - दादू जी के 52 शिष्य थे, जिन्हे 52 स्तम्भ कहा जाता है।
 - उनके 52 शिष्यों में से इनके दो पुत्र गरीब दास जी व मिस्किन दास जी थे।
 - दादू पंथी सम्प्रदाय के सतसंग स्थल अलख-दरीबा कहा जाता है।

प्रमुख शाखांए
   1.खालसा:- ऐसे साधु जो प्रधानपीठ पर निवास करते है।
   2. विरक्त :- जो राज्य में धूम-2 कर प्रचार-प्रसार करते है।
   3. उत्तराधि:- जो उत्तर भारत में इस सम्प्रदाय का प्रचार-प्रसार करते है।
   4. नागा:- वे साधु जो निर्वस्त्र रहते है तथा शरीर पर भरम लगाए रखते है।
                - नागा शाखा का प्रारम्भ दादू जी के शिष्य सुन्दर जी ने किया ।
   5. खाकी
   6. स्थानधारी
* इस सम्प्रदाय में मृतक व्यक्ति के अन्तिम संस्कार के अन्तर्गत उसे न तो जलाया जाता है और नही दफनाया जाता है। बल्कि उसे जंगल में जानवरों के खाने के लिए खुला छोड़ दिया जाता था।

रज्जब जी - दादूजी के शिष्य थे।

- इनका जन्म व प्रधानपीठ - सांगानेर (जयपुर) मे है |
- रज्जब जी आजीवन दूल्हे के वेश में रहे।
- रचनाऐं- रज्जव वाणी, सर्वगी प्रमुख है |

3. विश्नोई सम्प्रदाय

 - सस्थापक - जाम्भोजी (ये पंवार वंशीय राजपूत थे।)
- जन्म :- 1451 ई. में कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर पीपासर (नागौर) 
- प्रमुख ग्रन्थ - ,विश्नोई धर्म प्रकाश जम्भ सागर, जम्भवाणी
- नियम:- 29 नियम
- इस सम्प्रदाय के लोग विष्णु भक्ति पर बल देते है।
- यह सम्प्रदाय वन तथा वन्य जीवों की सुरक्षा में अग्रणी है।
- जाम्भों जी को पर्यावरण वैज्ञानिक /पर्यावरण संत भी कहते है।
- जाम्भों जी ने जिन स्थानों पर उपदेश दिए वो स्थान सांथरी कहलाये।

प्रमुख तीर्थ स्थल

1.मुकाम - (मुकाम- नौखा तहसील बीकानेर)
              - यहा जाम्भों जी का समाधि स्थल है।

2.लालासर - लालासर (बीकानेर)
                 - यहा जाम्भोजी को निर्वाण की प्राप्ति हुई।

3.रामडावास - रामडावास (जोधपुर)
                   - यहा जाम्भों जी ने अपने शिष्यों को उपदेश दिए।

4.जाम्भोलाव - जाम्भोलाव (जोधपुर), जिसका निर्माण जैसलमेर के शासक जैत्रसिंह ने करवाया था।

5.जांगलू (बीकानेर) व  रोटू गांव (नागौर) विश्नोई सम्प्रदाय के प्रमुख गांव है।

6.समराथल - 1485 ई. में जाम्भो जी ने बीकानेर के समराथल धोरा (धोक-धोरा) नामक स्थान पर विश्नोई सम्प्रदाय का प्रवर्तन किया था।

4. लाल दासी सम्प्रदाय

- संस्थापक -लाल दास जी
- जन्म स्थान:-  धोली धूव गांव (अलवर)
- समाधि -शेरपुरा (अलवर)
- ज्ञान की प्राप्ति:- तिजारा (अलवर)
- प्रधान पीठ:-  नगला जहाज (भरतपुर)
* मेवात क्षेत्र का लोकप्रिय सम्प्रदाय है।

5. चरणदासी सम्प्रदाय

- संस्थापक:- चारणदास जी (वास्तविक नाम- रणजीत सिंह डाकू)
- जन्म:-  डेहरा गांव (अलवर)
- प्रधान पीठ:- दिल्ली 
- इनकी दो शिष्याऐं :-
(1) दया बाई की रचनाऐं - "विनय मलिका" व "दयाबोध"
(2) सहजोबाई की रचना - "सहज प्रकाश"
* चरणदास जी ने भारत पर नादिर शाह के आक्रमण की भविष्यवाणी की थी।

6. प्राणनाथी सम्प्रदाय

- संस्थापक - प्राणनाथ जी
- जन्म स्थान :-  जामनगर (गुजरात)
- प्रधान पीठ:- पन्ना (मध्यप्रदेश) 
- राज्य में पीठ - जयपुर
- पवित्र ग्रन्थ - कुलजम संग्रह है, जो गुजराती भाषा में लिखा गया था

7. वैष्णव धर्म सम्प्रदाय

- प्रधान पीठः- श्री नाथ मंदिर (नाथद्वारा-राजसमंद)
इसकी चार शाखाऐं है।

1. वल्लभ सम्प्रदाय /पुष्ठी मार्ग सम्प्रदाय

    - संस्थापक - आचार्य वल्लभ जी
 * अष्ट छाप मण्डली - यह मण्डली वल्लभ जी के पुत्र विठ्ठल नाथ जी ने स्थापित की थी, जो इस सम्प्रदाय के प्रचार-प्रसार का कार्य करती थी।
* नाथद्वारा का प्राचीन नाम "सिहाड़" था।
- वल्लभ सम्प्रदाय मे दिन में आठ बार कृष्ण जी की पूजा- अर्चना की जाती है।
- वल्लभ सम्प्रदाय श्री कृष्ण के बालरूप की पूजा-अर्चना की जाती है।
- किशनगढ़ के शासक सांवत सिंह राठौड इसी सम्प्रदाय से जुडे हुए थे।
इस सम्प्रदाय की 7 अतिरिक्त पीठें कार्यरत है।
1. बिठ्ठल नाथ जी -नाथद्वारा (राजसमंद)
2. द्वारिकाधीश जी - कांकरोली (राजसमंद)
3. बालकृष्ण जी - सूरत (गुजरात)
4. गोकुल नाथ जी - गोकुल (उत्तर -प्रदेश)
5. गोकुल चन्द्र जी - कामा (भरतपुर)
6. मदन मोहन जी - मामा (भरतपुर)
7. मथुरेश जी - कोटा
- पिछवाई कला का विकास वल्लभ सम्प्रदाय के द्वारा कीया गया है |

2. निम्बार्क सम्प्रदाय/हंस सम्प्रदाय

- संस्थापक - आचार्य निम्बार्क
- प्रमुख पीठ:- सलेमाबाद (अजमेर) राज्य की इस पीठ की स्थापना 17 वीं शताब्दी में पुशराम देवता ने की थी, इसलिए इसको "परशुरामपुरी" भी कहा जाता है।
- सलेमाबाद (अजमेर में) रूपनगढ़ नदी के किनारे स्थित है।
- परशुराम जी का ग्रन्थ - परशुराम सागर ग्रन्थ।
- दर्शन - द्वैता द्वैत
- निम्बार्क सम्प्रदाय कृष्ण-राधा के युगल रूप की पूजा-अर्चना करता है।

3. रामानुज/रामावत/रामानंदी सम्प्रदाय

- संस्थापक: -आचार्य रामानुज
- कबीर जी, रैदास जी, संत धन्ना, संत पीपा आदि रामानंद जी के शिष्य रहे है।
- शुरूआत:- दक्षिण भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत आचार्य रामानुज द्वारा की गई।
- उत्तर भारत में इस सम्प्रदाय की शुरूआत रामानुज के परम शिष्य रामानंद जी द्वारा की गई और यह     सम्प्रदाय, रामानंदी सम्प्रदाय कहलाया।
- राजस्थान में रामानंदी सम्प्रदाय के संस्थापक कृष्णदास जी वयहारी को माना जाता है।
- "कृष्णदास जी पयहारी" ने गलता (जयपुर) में रामानंदी सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ स्थापित की।
- "कृष्णदास जी पयहारी" के ही शिष्य "अग्रदास जी" ने रेवासा ग्राम (सीकार) में अलग पीठ स्थापित की, "रसिक" सम्प्रदाय के नाम से अलग और नए सम्प्रदाय की शुरूआत की।
* राजानुज/रामावत/रामानदी सम्प्रदाय राम और सीता के युगल रूप की पूजा करता है।
- दर्शन:- विशिष्टा द्वैत
- सवाई जयसिंह के समय रामानुज सम्प्रदाय का जयपुर रियासत में सर्वाधिक विकास हुआ।
- रामारासा नामक ग्रंथ भट्टकला निधि द्वारा रचित है, यह ग्रन्थ सवाई जयसिंह के काल में लिखा था।

4. गौड़ सम्प्रदाय/ब्रहा्र सम्प्रदाय

- संस्थापक:- माध्वाचार्य
- प्रधान पीठ:- गोविन्द देव जी मंदिर (जयपुर) 
- राज्य में इस सम्प्रदाय का सर्वाधिक प्रचार जयपुर के शासक मानसिंह -प्रथम के काल में हुआ।
- मानसिंह -प्रथम ने वृन्दावन में इस सम्प्रदाय का गोविन्द देव जी का मंदिर निर्मित करवाया
- इस मंदिर का निर्माण सवाई जयसिंह ने करवाया।
- करौली का मदनमोहन जी का मंदिर भी इसी सम्प्रदाय से सबन्धित है।

* दर्शन - द्वैतवाद

8. शैवमत सम्प्रदाय

इसकी चार श्शाखाऐं है।

1.कापालिक - पूजा:-  भगवान शिव के अवतार की
                 - इस सम्प्रदाय के साधु तानित्रक विद्या का प्रयोग करते है।
                 - कापालिक साधु श्मसान भूमि में निवास करते थे।
                 - कापालिक साधुओं को अघोरी बाबा भी कहा जाता है।
2. पाशुपत - प्रवर्तक:- लकुलिश (मेवाड़ से जुडे हुए थे)
3. लिंगायत
4. काश्मीरक

 नाथ सम्प्रदाय

यह शैवमत की शाखा है
संस्थापक - नाथ मुनी 
प्रमुख साधु:- गोरख नाथ, गोपीचन्द्र, मत्स्येन्द्र नाथ, आयस देव नाथ, चिडिया नाथ, जालन्धर नाथ आदि।
* मानसिंह ने नाथ सम्प्रदाय के राधु आयस देव नाथ को अपना गुरू माना और जोधपुर में इस सम्प्रदाय का मुख्य मंदिर महामंदिर स्थापित करवाया।
नाथ सम्प्रदाय की दो शाखाऐं थी:-
           (A) राताड़ूगा (पुष्कर) मे - वैराग पंथी
           (B) महामंदिर (जोधपुर) में - मानपंथी

 Wish You All The Best For Your Examination 

Dear Candidates ! “उम्मीद है हमारी यह Post आपके काम आयी होगी। जिस किसी भी Candidate को अगर हमारे बनाए Posts में किसी प्रकार की कोई त्रुटि(Error) या किसी प्रकार की Problem हो तो आप हमे Comment करके बता सकते हैं और अगर हमारी Posts आपको अच्छे लगे आपके काम आए तो आप इन्हे अपने मित्रों (Friends) को Share कर सकते हैं और हमे Feedback दे सकते हैं।



धन्यवाद !!!!!
Team JANGIR ACADEMY


Join Our facebook Group - 

                                      वैदिक सभ्यता(Vedic Civilization) Indian History 

                    राजस्थान की चित्र शैलियां (Rajasthan of Picture Styles) part -2 Rajasthan GK 


No comments:

Post a Comment