महाजनपद काल (Mahajanpada Period)
महाजनपदों पर राजा का ही शासन रहता था परन्तु ऐसा माना जाता है कि गण और संघ नाम से प्रसिद्ध राज्यों में लोगों का समूह शासन करता था, इस समूह का हर व्यक्ति राजा कहलाता था। भगवान महावीर और भगवान बुद्ध इन्हीं गणों से संबन्धित थे। वज्जि संघ की ही तरह कुछ राज्यों में ज़मीन सहित आर्थिक स्रोतों पर राजा और गण सामूहिक नियंत्रण रखते थे। स्रोतों की कमी के कारण इन राज्यों का इतिहास लिखा नहीं जा सका। हर महाजनपद की एक राजधानी थी जो क़िले से घेरी हुई होती थी। क़िलेबंद राजधानी की देखभाल, सेना और नौकरशाही के लिए भारी धन की ज़रूरत होती थी। संपत्ति जुटाने का एक उपाय पड़ोसी राज्यों पर आक्रमण कर धन एकत्र करना भी था। कुछ राज्य अपनी स्थायी सेनाएँ और नौकरशाही तंत्र भी रखते थे और कुछ राज्य सहायक-सेना पर निर्भर करते थे जिन्हें कृषक वर्ग से नियुक्त किया जाता था।
- उत्तर वैदिक काल में कुछ जनपदों का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में इनका कई बार उल्लेख हुआ है।
- प्रारम्भ मे लोग कबीलो के रूप मे निवाश करते थे, कबीलो द्वारा निवासित क्षेत्र जनपद कहलाया था | सोलह महाजनपद
भारत के सोलह महाजनपदों का उल्लेख ईसा पूर्व छठी शताब्दी से भी पहले का है। ये महाजनपद थे-
(1) मगध
- बौद्ध साहित्य मे मगध राज्य की राजधानी गिरिव्रज या राजगीर थी,
- वर्तमान पटना और गया जिलों के क्षेत्र इसके अंग थे, अथर्ववेद में भी इस राज्य का उल्लेख मिलता है.
- वर्तमान पटना और गया जिलों के क्षेत्र इसके अंग थे, अथर्ववेद में भी इस राज्य का उल्लेख मिलता है.
(2) अंग
- यह महाजनपद मगध राज्य के पूर्व में स्थित था. इसकी राजधानी चंपा हुआ करती थी.
- आधुनिक भागलपुर और मुंगेर का क्षेत्र इसी जनपद में शामिल था |
- आधुनिक भागलपुर और मुंगेर का क्षेत्र इसी जनपद में शामिल था |
(3) काशी
- इसकी महाजनपद की राजधानी वाराणसी (बनारस) थी,
- काशी के कौसल, मगध और अंग राज्यों से सम्बन्ध अच्छे नहीं रहे और प्रायः उसे उसने संघर्षरत रहना पड़ा. गौतम बुद्ध के समय में काशी राज्य का राजनैतिक पतन प्रारम्भ हो गया था |
- काशी के कौसल, मगध और अंग राज्यों से सम्बन्ध अच्छे नहीं रहे और प्रायः उसे उसने संघर्षरत रहना पड़ा. गौतम बुद्ध के समय में काशी राज्य का राजनैतिक पतन प्रारम्भ हो गया था |
(4) कुरु
- इसकी राजधानी इन्द्रप्रस्थ (हस्तिनापुर) थी
- उत्तर वैदिक साहित्य में इस जनपद के पर्याप्त विवरण प्राप्त होते हैं. इसके थानेश्वर (हरियाणा राज्य में) दिल्ली और मेरठ का क्षेत्र सम्मिलित थे.
(5) मल्ल
- यह जनपद वज्जि संघ के उत्तर में स्थित एक पहाड़ी राज्य था. इसके दो भाग थे जिनमें एक की राजधानी कुशीनगर (जहाँ महात्मा बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ) और दूसरे भाग की राजधानी पावा (जहाँ वर्धमान महावीर को निर्वाण मिला) थी.
(6) चेदि
- आधुनिक बुन्देलखंड के पूर्वी भाग और उसके समीपवर्ती भूखंड में फैला हुआ था |
- महाभारत के अनुसार “शुक्तिमती” इसकी राजधानी थी, महाभारत के अनुसार शिशुपाल यहीं का शासक था |
(7) वत्स
- महाभारत के अनुसार “शुक्तिमती” इसकी राजधानी थी, महाभारत के अनुसार शिशुपाल यहीं का शासक था |
- कौशाम्बी इसकी राजधानी थी
- काशी के पश्चिम भाग में प्रयाग के आसपास क्षेत्र में यह जनपद स्थित था |
- बुद्ध के समय में इसका शासक उदयन था.
- बुद्ध के समय में इसका शासक उदयन था.
(8) वृज्जि या वज्जि संघ
- विशाल इस संघ की राजधानी थी, यह महाजनपद मगध के उत्तर में स्थित था.
(9) कोसल
- सरयू नदी इसे (कोसल जनपद को) दो भागों में विभाजित करती थी.
- एक उत्तरी कोसल जिसकी राजधानी श्रावस्ती थी और दूसरा दक्षिणी कोसल, जिसकी राजधानी कुशावती थी.
- एक उत्तरी कोसल जिसकी राजधानी श्रावस्ती थी और दूसरा दक्षिणी कोसल, जिसकी राजधानी कुशावती थी.
(10) शूरसेन
- आधुनिक मथुरा नगर ही इसकी राजधानी थी ,
- मथुरा और उसके आसपास के क्षेत्र इस जनपद में शामिल थे.
(11) पंचाल
- इसके दो भाग थे :– उत्तरी पंचाल की राजधानी अहिच्छत्र और दक्षिणी पंचाल की राजधानी काम्पिल्य थी.
- यह जनपद एक राजतंत्र था लेकिन संभवतः कौटिल्य के काल में यहाँ गणतंत्रीय शासन व्यवस्था हो गयी.
(12) मत्स्य
- यह जनपद एक राजतंत्र था लेकिन संभवतः कौटिल्य के काल में यहाँ गणतंत्रीय शासन व्यवस्था हो गयी.
- इस जनपद में आधुनिक राजस्थान राज्य के जयपुर और अलवर जिले शामिल थे.
- यह जनपद कभी चेदि राज्य के अधीन रहा था.:
- विराट नगर इसकी राजधानी थी.
(13) अस्सक या अस्मक
- यह जनपद कभी चेदि राज्य के अधीन रहा था.:
- विराट नगर इसकी राजधानी थी.
- यह राज्य गोदावरी नदी के किनारे पर स्थित था.
- पाटेन अथवा पोटन इसकी राजधानी थी.
- पुराणों के अनुसार इस महाजनपद के शासक इक्ष्वाकु वंश के थे.
- जातक कथाओं में भी इस जनपद के अनेक राजाओं के नामों की जानकारी मिलती है.
(14) अवन्ति
- पाटेन अथवा पोटन इसकी राजधानी थी.
- पुराणों के अनुसार इस महाजनपद के शासक इक्ष्वाकु वंश के थे.
- जातक कथाओं में भी इस जनपद के अनेक राजाओं के नामों की जानकारी मिलती है.
- अवंति राजतंत्र में लगभग उज्जैन प्रदेश और उसके आसपास के जिले थे.
- पुराणों के अनुसार पुणिक नामक सेनापति ने यदुवंशीय वीतिहोत्र नामक शासक की हत्या करके अपने पुत्र प्रद्योत को अवन्ति की गद्दी पर बैठाया.
- इसके अंतिम शासक नन्दवर्धन को मगध के शासक शिशुनाग ने पराजित किया और इसे अपने साम्राज्य का अंग बना लिया.
- यह महाजनपद दो भागों में विभाजित था. उत्तरी भाग की राजधानी उज्जयिनी और दक्षिणी भाग की राजधानी महिष्मति थी.
(15) कम्बोज
- पुराणों के अनुसार पुणिक नामक सेनापति ने यदुवंशीय वीतिहोत्र नामक शासक की हत्या करके अपने पुत्र प्रद्योत को अवन्ति की गद्दी पर बैठाया.
- इसके अंतिम शासक नन्दवर्धन को मगध के शासक शिशुनाग ने पराजित किया और इसे अपने साम्राज्य का अंग बना लिया.
- यह महाजनपद दो भागों में विभाजित था. उत्तरी भाग की राजधानी उज्जयिनी और दक्षिणी भाग की राजधानी महिष्मति थी.
- यह राज्य गांधार के पड़ोस में था. कश्मीर के कुछ भाग जैसे राजोरी और हजार जिले इसमें शामिल थे.
- राजपुर या हाटक इसकी राजधानी थी.
(16) गांधार
- इस जनपद में वर्तमान पेशावर, रावलपिण्डी और कुछ कश्मीर का भाग भी शामिल था.
- तक्षशिला इसकी राजधानी थी.
- गांधार का राजा पुमकुसाटी गौतम बुद्ध और बिम्बिसार का समकालीन था. उसने अवंति के राजा प्रद्योत से कई युद्ध किए और उसे पराजित किया.
- इसकी राजधानी विद्या का केंद्र था. देश-विदेश से विद्यार्थी यहाँ शिक्षा प्राप्त करने आते थे
सिंधु घाटी सभ्यता(Indus Valley Civilization) Indian History |
- राजपुर या हाटक इसकी राजधानी थी.
- तक्षशिला इसकी राजधानी थी.
- गांधार का राजा पुमकुसाटी गौतम बुद्ध और बिम्बिसार का समकालीन था. उसने अवंति के राजा प्रद्योत से कई युद्ध किए और उसे पराजित किया.
- इसकी राजधानी विद्या का केंद्र था. देश-विदेश से विद्यार्थी यहाँ शिक्षा प्राप्त करने आते थे
सिंधु घाटी सभ्यता(Indus Valley Civilization) Indian History |
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