राजस्थान के प्रमुख दुर्ग व किले (Major Forts and Forts of Rajasthan)
इस पोस्ट में राजस्थान की प्रमुख दुर्गो का विस्तृत वर्णन किया गया है | राजस्थान के दुर्गो ( The Fort of Rajasthan) बारे में राजस्थान की लगभग हर एग्जाम में प्रश्न पूछे जाते है जैसे कि राजस्थान पुलिस, पटवार,रीट,एसआई आदि |
आगामी समय में राजस्थान लेवल की सभी एग्जाम के लिए ये टॉपिक काफी महत्वपूर्ण है ......
इस पोस्ट में राजस्थान की प्रमुख दुर्गो का विस्तृत वर्णन किया गया है | राजस्थान के दुर्गो ( The Fort of Rajasthan) बारे में राजस्थान की लगभग हर एग्जाम में प्रश्न पूछे जाते है जैसे कि राजस्थान पुलिस, पटवार,रीट,एसआई आदि |
16. भैंसरोड़गढ दुर्ग (Bhainsargarh Fort) (चित्तौड़गढ) :-
- श्रेणी :- बामणी व चम्बल नदियों के संगम पर स्थित होने के कारण यह दुर्ग जल श्रेणी का दुर्ग है।- भैंसरोडगढ़ दुर्ग को “राजस्थान का वेल्लोर” कहा जाता है।
- इस दुर्ग का निर्माता भैसाशाह व रोडावारण को माना जाता है।
17. मांडलगढ़ दुर्ग (Mandalgarh Fort) (भीलवाडा) :-
- निर्माण :- इस दुर्ग का निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया।- श्रेणी :- यह दुर्ग जल श्रेणी का दुर्ग है।
- यह दुर्ग बनास, बेडच व मेनाल नदियों के संगम पर स्थित है।
- यह दुर्ग सिद्ध योगियों का प्रसिद्ध केन्द्र रहा है।
18. भटनेर दुर्ग (Bhatner Fort) (हनुमानगढ़) :-
- निर्माण :- इस दुर्ग का निर्माण सन् 285 ई. में भाटी राजा भूपत ने करवाया था।* घग्धर नदी के मुहाने पर बसे इस, प्राचीन दुर्ग को ” उत्तरी सीमा का प्रहरी” कहा जाता है।
- श्रेणी :- भटनेर दुर्ग धान्वन श्रेणी का दुर्ग है।
- इस दुर्ग को भाटियों की मरोड़ कहते है।
- इस दुर्ग पर सर्वाधिक विदेशी आक्रमण हुए –
1. महमूद गजनवी ने विक्रम संवत् 1058 (1001 ई.) में भटनेर दुर्ग पर अधिकार कर लिया था।
2. 13 वीं शताब्दी के मध्य में गुलाम वंश के सुल्तान बलवन के शासनकाल में उसका चचेरा भाई शेर खां यहां का हाकिम था।
3. 1398 ई. में भटनेर को प्रसिद्ध लुटेरे तैमूरलंग के अधिन विभीविका झेलनी पड़ी थी।
- बीकानेर के चोथे शासक राव जैतसिंह ने 1527 ई. में आक्रमण कर भटनेर पर पहली बार राठौडों का आधिपत्य स्थापित हुआ। उसने राव कांधल के पोत्र खेतसी को दुर्गाध्यक्ष नियुक्त किया था |
4. ह्रमायू के भाई कामरान ने भटनेर दुर्ग पर आक्रमण किया।
- सन् 1805 ई. में महाराजा सूरतसिंह द्वारा मंगलवार को जाब्ता खां भट्टी से भटनेर दुर्ग हस्तगत कर लिया। भटनेर का नाम हनुमानगढ़ रखा गया।
- तैमूर लंग ने इस दुर्ग के लिए कहा कि ” उसने इतना व सुरक्षित किला पूरे हिन्तुस्तान में कहीं नही देखा।”
* तैमूरलग की आत्मकथा ” तुजुक-ए-तैमूरी “के नाम से है।
- राजस्थान का एकमात्र दुर्ग जहाँ मुस्लिम महिलाओं ने जौहर किया था।
- इस दुर्ग में दिल्ली सुल्तान गयासुद्दीन बलबन के भाई शेर खां की कब्र तथा गुरु गोरखनाथ का मंदिर बना हुआ है।
19. भरतपुर दुर्ग (Bharatpur Fort) (भरतपुर) :-
- निर्माण :- इस दुर्ग का निर्माण सन् 1733 ई. में राजा सूरजमल ने करवाया था।- श्रेणी :- यह दुर्ग पारिख श्रेणी का दुर्ग है।
- मिट्टी से निर्मित यह दुर्ग अपनी अजेयता के लिए प्रसिद्ध है।
- इस किले के चारों ओर सुजान गंगा नहर बनाई गई जिसमे पानी लाकर भर दिया जाता था।
- इस दुर्ग के भीतर मोती महल, जवाहर बुर्ज व फतेह बुर्ज (अंग्रेजों पर विजय की प्रतीक है।) आदि बने हुए है |
- सन् 1805 ई. में अंग्रेज सेनापति लार्ड लेक ने इस दुर्ग को बारूद से उडाना चाहा लेकिन वह असफल रहा।
- इस दुर्ग में लगा अष्टधातू का दरवाजा महाराजा जवाहर सिंह 1765 ई. में ऐतिहासिक लाल किले से उतार लाए थे।
* इस दुर्ग के बारे में प्रचलित कहावत – “8 फिरंगी, 9 गौरा लड़े जाट का 2 छोरा।“
20. चुरू का किला (Churu Fort) (चुरू) :-
- निर्माण :- इस दुर्ग का निर्माण ठाकुर कुशाल सिंह ने करवाया।- श्रेणी :- धान्व श्रेणी में निर्मित है |
- महाराजा शिवसिंह के समय बारूद खत्म होने पर यहां से चांदी के गोले दागे गए।
21. जूनागढ़ दुर्ग (Junagadh fort) (बीकानेर) :-
- निर्माण :- लाल पत्थरों से बने इस भव्य किले का निर्माण बीकानेर के प्रतापी शासक रायसिंह ने करवाया था।- श्रेणी :- यह दुर्ग धान्व श्रेणी का दुर्ग हैं।
- इस दुर्ग की निर्माण शैली में मुगल शैली का समन्वय देकने को मिलता है।
- अन्य नाम – इस दुर्ग को जमीन का जेवर, लालगढ़ दुर्ग व अधगढ़ किला भी कहा जाता है |
- इस दुर्ग के सूरजपोल के दोनों तरफ 1567 ई. के चित्तौड़ के साके में वीरगति पाने वाले दो इतिहास प्रसिद्ध वीरों जयमल मेडतियां और उनके बहनोई आमेर के रावत पता सिसोदिया की गजारूढ मूर्तियां स्थापित है।
- दर्शनिय स्थल :– इस दुर्ग में हेरम्भ गणपति मंदिर, अनूपसिंह महल, सरदार निवास महल आदि दर्शनीय स्थल है |
22. नागौर दुर्ग (Nagaur Fort) (नागौर) :-
- अन्य नाम – नागाणा व अहिच्छत्रपुर भी कहा जाता है |- अमर सिंह राठौड़ की वीर गाथाएं इसी दुर्ग से जुडी हुई है।
- इस दुर्ग में शीश महल, बादल महल, शुक्र तालाब, 16 खम्बो की छतरी (अमरसिंह की छतरी) स्थित है।
- नागौर दुर्ग को एक्सीलेंस अवार्ड मिला हुआ है।
23. अचलगढ़ दुर्ग (Achalgarh Fort) (सिरोही) :-
- निर्माण :- 900 ई.के आसपास परमार वंश के शासकों द्वारा निर्माण करवाया गया।- इस दुर्ग को आबु का किला भी कहा जाता हैं |
- प्रमुख दर्शनीय स्थल :–
1.भंवराथल – गुजरात का महमूद बेगडा जब अचलेश्वर के नंदी व अन्य देव प्रतिमाओं को खण्डित कर लौट रहा था, तब मक्खियों ने आक्रमणकारियों पर हमला कर दिया। इस घटना की स्मृति में वह स्थान आज भी भंवराथल नाम से प्रसिद्ध है।
2. अचलेश्वर महादेव मंदिर :– इस मंदिर में शिवजी के पैर का अंगूठा प्रतीक के रूप में विद्यमान है।
* आबू पर्वतांचल में स्थित अनेक देव मंदिरों के कारण आबू पर्वत को हिन्दू ओलम्पस (देव पर्वत) कहा जाता है।
24. शेरगढ़ दुर्ग (Shergarh Fort) (धौलपुर) :-
- निर्माण :- कुशाण वंश के शासन काल में हुआ।- शेरशाह सूरी ने इस दुर्ग का पुनर्निर्माण करवाकर इसका दुर्ग का नाम शेरगढ़ रखा।
* महाराजा कीरतसिंह द्वारा निर्मित “हुनहुंकार तोप” इसी दुर्ग में स्थित है।
25. शेरगढ़ दुर्ग(Shergarh Fort) (बांरा) :-
- यह दुर्ग परवन नदी के किनारे स्थित है।- हाडौती क्षेत्र का यह दुर्ग कोशवर्धन दुर्ग के नाम से भी प्रसिद्ध है।
26. चैमू का किला (Chamu Fort) (जयपुर):-
- निर्माण :- ठाकुर कर्णसिंह ने करवाया था।- अन्य नाम- चोमूहांगढ़, धाराधारगढ़ तथा रधुनाथगढ आदि।
27. कांकणबाडी का किला (Kankanbadi Fort) (अलवर) :-
- इस किले में औरंगजेब ने अपने भाई दाराशिकोह को कैद किया था।Click Here To Read Current Affairs
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