Major Forts of Rajasthan (राजस्थान के प्रमुख दुर्ग व किले) Rajasthan GK ! Part -2 For Rajsthan Police, Patwar, Reet etc... - JANGIR ACADEMY | Online Study Portal

Thursday, September 24, 2020

Major Forts of Rajasthan (राजस्थान के प्रमुख दुर्ग व किले) Rajasthan GK ! Part -2 For Rajsthan Police, Patwar, Reet etc...

राजस्थान के प्रमुख दुर्ग व किले (Major Forts and Forts of Rajasthan)

राजस्थान के प्रमुख दुर्ग व किले (Major Forts and Forts of Rajasthan)


5.कुम्भलगढ़ दुर्ग (राजसमंद) :-

- निर्माता :– इस दुर्ग का निर्माण 1458 ई., महाराणा कुम्भा ने करवाया |
- श्रेणी – यह दुर्ग गिरी दुर्ग की श्रेणी में आता है |
- इस दुर्ग का शिल्पी मंडन था |
- इस दुर्ग के चारों ओर 36km लम्बा व 7 मीटर चौड़ा परकोटा है जिसे भारत की महान दीवार कहा जाता है।
कर्नल टॉड ने कुम्भलगढ़ की तुलना “एस्ट्रुकन” से की थी।
- इस दुर्ग में मामा देव कुंड व झाली रानी का मालिया बना हुआ है।
- उदयसिंह का राज्यभिषेक तथा वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ़ दुर्ग में हुआ था।
- इस किले में सबसे ऊपरी स्थान कटारगढ़ है जो कुम्भा का निजी आवास था। इसे मेवाड़ की आंख कहा जाता है।
- अबुल फजलके अनुसार – “यह दुर्ग इतनी बुलंदी पर बना है कि नीचे से ऊपर तक देखने पर सिर की पगड़ी गिर जाती है।“

-  अन्य नाम :– कुम्भलमेर दुर्ग, केवल एक बार जीता गया दुर्ग, कटार गढ़, मेवाड़ का मेरुदंड, मारवाड़ सीमा का प्रहरी, मेवाड़ की संकटकालीन आश्रय स्थली आदि |


6. सोनारगढ़ दुर्ग (जैसलमेर) :-

- निर्माता :– इस दुर्ग का निर्माण 1156 ई महारावल जैसल ने करवाया था |
- श्रेणी :– यह दुर्ग धान्वन दुर्ग की श्रेणी में आता हैं |
- यह दुर्ग त्रिकुट पहाड़ी पर बना हुआ है।
- यह दुर्ग राजस्थान में चित्तौड़गढ के पश्चात् सबसे बडा फोर्ट है।
- अन्य नाम :– उत्तरभड़ किवाड़, सोनगढ़, स्वर्णगिरि आदि |
- जैसलमेर दुर्ग की सबसे प्रमुख विशेषता इसमें ग्रन्थों का एक दुर्लभ भण्डार है जिसे जिनभद्र कहा जाता है।
* सन् 2005 में इस दुर्ग को वल्र्ड हैरिटेज सूची में शामिल किया गया।

- जैसलमेर में ढाई साके –
1. पहला साका :– आक्रमणकारी :- दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलज्जी
                                     शासक :- भाटी शासक मूलराज
2. द्वितीय साका :– आक्रमणकारी :- फिरोज शाह तुगलक
                                     शासक :-  रावल दूदा व त्रिलोक सिंह के नेतृत्व मे वीरगति प्राप्त की।
3. तीसरा साका :– जैसलमेर का अर्द्ध साका राव लूणकरण के समय केसरिया हुआ पर जौहर नही हो सका था।

7.सिवाणा दुर्ग (बाड़मेर) :-

- निर्माता :– इस दुर्ग का निर्माण दसवीं शताब्दी वीर नारायण सिंह पंवार द्वारा करवाया गया |
- श्रेणी :– यह गिरी दुर्ग की श्रेणी में आता है |
- अन्य नाम – कुमट दुर्ग, जालौर दुर्ग की कुंजी आदि |
- इसे मारवाड़ शासकों की संकटकालीन आश्रय स्थली कहा जाता है।
- 1308 में अलाउद्दीन खिलजी ने इस दुर्ग पर अधिकार करके दुर्ग का नाम खैराबाद रखा था।

*  साके  –

1. पहला साका – सन् 1308 ई. में

- सन् 1308 ई. में शीतलदेव चैहान के समय
- आक्रांता अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के कारण।

2. दूसरा साका – सन 1565 ई. में

- वीर कल्ला राठौड़ के समय
- अकबर से सहायता प्राप्त मोटा राजा उदयसिंह के आक्रमण के कारण साका हुआ।

8. आमेर दुर्ग – आमेर (जयपुर) :-

- श्रेणी :– यह  गिरी दुर्ग की श्रेणी में आता है |
- यह दुर्ग  हिन्दू-मुस्लिम स्थापत्य शैली का मिश्रण है।
- मिर्जा राजा जयसिंह द्वारा निर्मित दीवान-ए-आम में राजा का दरबार लगता था।
- बिशप हेबर ने आमेर के महलों की सुंदरता की तुलना “क्रेमलिन तथा अलब्रह्म” के महलों से की।
- दीवान-ए-खास का निर्माण मिर्जा राजा जयसिंह ने करवाया जिसमे राजा अपने विशिष्ट सामन्तो व प्रमुख         लोगों से मिलता था।
- इस दुर्ग के भीतर जलेब चौक, सिंह पोल, गणेश पोल, दिलसुख महल, मावठा तालाब, सुहाग मन्दिर,                शिलामाता मन्दिर, जनानी ड्योढ़ी, कदमी महल आदि स्थित है।

9. जयगढ दुर्ग (जयपुर) :-

- निर्माता :– इसका निर्माण 1726 ई. सवाई जयसिंह द्वितीय ने करवाया था |
- श्रेणी :– यह गिरी दुर्ग की श्रेणी में आता है |
- अन्य नाम :– चिल्ह का टिला, खजाने का किला, रहस्यमयी दुर्ग आदि |
- इस दुर्ग में विजयगढ़ी महल बना है जिसे लघु दुर्ग कहते है।
- इस दुर्ग में काल भैरव का प्रसिद्ध मंदिर है।
- इस दुर्ग में एशिया का एकमात्र तोपखाना था।
- जयबाण तोप :– एशिया की सबसे बड़ी तोप, इसकी मारक क्षमता :– 35KM है |
- आपातकाल के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमति इन्द्ररा गांधी ने खजाने की प्राप्ति के लिए किले की खुदाई               करवाई गई।
- इस दुर्ग में दीवाने आम, दीवाने खास, लक्ष्मी निवास, ललित मन्दिर, सूर्य मंदिर, राणावतजी का चौक स्थित       है।

10.जालौर दुर्ग (जालौर) :-

- निर्माता :–  इस दुर्ग का निर्माण परमार वंश के शासको द्वारा करवाया गया |
- श्रेणी :– यह गिरी दुर्ग की श्रेणी में आता है |
- इस दुर्ग के सामने नटनी की छतरी स्थित है।
- इस दुर्ग में मल्लिक शाह की दरगाह स्थित है।
- हसन निजामी के अनुसार – “इस दुर्ग का दरवाजा कोई भी आक्रमणकारी नही खोल पाया।“
- अन्य नाम :– जालौर का किला, सुवर्णगिरि, सोनगिरि, सोनल गढ़, जाबालीपुर आदि |

- साका :-

- सन् 1311 ई. में कान्हड देव चैहान के समय अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण किया।
- इस आक्रमण में कान्हडदेव चैहान व उसका पुत्र वीरदेव वीरगति को प्राप्त हुुए तथा वीरांगनाओं ने जौहर कर लिया।
- इस साके की जानकारी पद्मनाभ द्वारा रचित कान्हडदेव में मिलती है।

11. गागरोण दुर्ग (झालावाड़) :-

- निर्माता :– इस दुर्ग का निर्माण परमार राजपूतो द्वारा करवाया गया है |
- श्रेणी :– यह दुर्ग जल दुर्ग की श्रेणी में आता है |
- अन्य नाम :– इसके अन्य नाम धुलरगढ़, डोडगढ़ है |
- यह दुर्ग काली सिंध व आहु नदियों के संगम पर स्थित है।
- इस दुर्ग में शत्रुओं पर पत्थरों से वर्षा करने वाला विशाल यंत्र स्थित है।
- इस दुर्ग में पीपाजी की छतरी है जहाँ प्रतिवर्ष उनकी पुण्यतिथि पर मेला लगता है।
- सूफी संत हमीदुद्दीन चिश्ती की समाधि जो मिठेशाह की दरगाह के नाम से प्रसिद्ध है इस दुर्ग में स्थित है।

* साके :–

1. पहला साका –  सन् 1423 ई. में

- सन् 1423 ई. में अचलदास खींची (भोज का पुत्र) तथा मांडू के सुलतान अलपंखा गौरी (होंशगशाह) के मध्य युद्ध हुआ। जीत के बाद दुर्ग का भार शहजाते जगनी खां को सौपा गया।
- गागरोज के प्रथम साके का विवरण शिवदास गाढण द्वारा लिखित पुस्तक ‘ अचलदास खींची री वचनिका’ में मिलता है।

2. दूसरा साका – सन् 1444 ई. में

- महमूद खिलजी ने विजय के उपरांत दुर्ग का नाम बदल कर मुस्तफाबाद रखा था।
- विद्वानों के अनुसार इस पृथ्वीराज ने अपना प्रसिद्व ग्रन्थ “वेलिक्रिसन रूकमणीरी” गागरोण में रहकर लिखा था।

12. मेहरानगढ़ दुर्ग (जोधपुर) :-

- निर्माता :–1459 ई राव जोधा द्वारा करवाया गया था |
-  श्रेणी :– यह गिरी दुर्ग की श्रेणी में आता है |
- यह दुर्ग चिड़िया टूक पहाड़ी पर बना है।
- इस दुर्ग की नींव में राजाराम(राजिया माँबी) की जिंदा दफनाया गया था।
- अन्य नाम :– मयूरध्वजगढ़, गढ़ चिन्तामणी आदि |
- इस दुर्ग में किलकिला, शम्भू बाण, गजनी खां, चामुण्डा, भवानी तोपें स्थित है |
- जेकेलिन कनेडी ने इसे विश्व का आठवां आश्चर्य बताया।
- इस दुर्ग में महाराजा सूरसिंह ने मोती महल, अजीत सिंह ने फतह महल, अभय सिंह ने फूल महल, बख्त सिंह    ने श्रंगार महलों का निर्माण करवाया था।
- इस दुर्ग में महाराजा मानसिंह ने “पुस्तक प्रकाश” पुस्तकालय की स्थापना की।
- लार्ड किपलिंग ने इस दुर्ग के लिए कहा था :– “यह दुर्ग परियों एवं देवताओं द्वारा निर्मित है।“
- इस दुर्ग में चामुण्डा माता मंदिर बना हुआ है | इस मंदिर का निर्माण राव जोधा ने करवाया। 1857 की क्रांति के    समय इस मंदिर के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण इसका पुनर्निर्माण महाराजा तखतसिंह न करवाया था।

13. बयाना दुर्ग (भरतपुर) :-

- निर्माता - इसका निर्माण विजयपाल सिंह द्वारा करवाया गया था |
- श्रेणी – यह गिरी दुर्ग की श्रेणी में आता है |
- यह दुर्ग अपनी दुर्भेद्यता के कारण बादशाह दुर्ग व विजय मंदिर गढ भी कहलाता है।
- अन्य नाम – शोणितपुर, बाणपुर, श्रीपुर एवं श्रीपथ आदि |

14. मैग्जीन दुर्ग (अजमेर) :-

- निर्माता :– इसका निर्माण अकबर द्वारा करवाया गया |
- श्रेणी :– यह स्थल दुर्ग की श्रेणी में आता है |
- अन्य नाम :– अकबर का दौलतखाना |
- यह पूर्णतः मुस्लिम स्थापत्य कला पर आधारित दुर्ग है |
- 1576 हल्दीघाटी युद्ध की रणनीति अकबर ने इसी किले में बनाई थी।
- सर टाॅमस ने सन् 1616 ई. में जहांगीर को से मुलाकात इसी दुर्ग में की थी।
- वर्तमान में यह एक राजकीय पुरातात्विक संग्रहालय बना हुआ है।

15. नाहरगढ़ दुर्ग (जयपुर) :-


- निर्माता :– 1734 ई सवाई जयसिंह द्वितीय ने निर्माण करवाया था |
- श्रेणी :– यह गिरी दुर्ग की श्रेणी में आता है |
- इस दुर्ग को जयपुर का मुकुट कहा जाता है।
- इस दुर्ग के पास जैविक उद्यान स्थित है।
- अन्य नाम :– सुरदर्शनगढ़, महलों का दुर्ग, मिठड़ी का दुर्ग आदि |
- इस दुर्ग में माधोसिंह प्रथम ने अपनी पासवान रानियों के लिए एक जैसे नौ महल बनवाये – सूरज प्रकाश, खुशहाल प्रकाश, बसन्त प्रकाश, फूल प्रकाश, जवाहर प्रकाश, ललित प्रकाश, आनन्द प्रकाश, लक्ष्मी प्रकाश, चांद प्रकाश आदि।

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