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Thursday, September 24, 2020

Major Dynasties of North India (उत्तर भारत के प्रमुख राजवंश) Part -1 Indian History ! For SCC, Railway, Bank, Upsc etc..

उत्तर भारत के प्रमुख राजवंश (Major Dynasties of North India)

उत्तर भारत के प्रमुख राजवंश (Major Dynasties of North India)


नमस्कार दोस्तों इंडिया जीके की इस सीरीज में हमें उतर भरत के राजवंशो की जानकारी के लेकर आये है, इस टॉपिक से जुड़े प्रश्न सभी एग्जाम में पूछे जाते है, जैसे : - UPSC exam, bank, SSC Etc.....

प्रमुख राजवंश :-

गुर्जर प्रतिहार वंश, गहडवाल वंश, चौहान वंश, कलचुरी वंश एवं चंदेल वंश !

(1) गुर्जर प्रतिहार वंश :– 

- संस्थापक :-  नागभट्ट प्रथम 
- नागभट्ट प्रथम ने मालवा में गुर्जर प्रतिहार वंश के प्रथम शासक के रूप में आठवी शताब्दी में शासन किया था| -  इस वंश के अन्य प्रसिध्द शासक :- देवराज, वत्सराज तथा नागभट्ट द्वितीय हुए |
- मिहिर भोज प्रतिहार वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली एवं प्रतापी सम्राट था, इसने अपने शासनकाल में कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया था |
- अन्य शासक :- महेंद्र पाल तथा महिपाल ने इस वंश के अन्य शासक हुए | 
- महिपाल की मृत्यु होने पर इस वंश का अंत हो गया |
- 1090 ई. के लगभग इस राज्य पर राठौर वंश के राजपूतों ने अपना अधिकार कर लिया |
- गहडवाल वंश के प्रथम शासक चंद्रदेव ने कन्नौज पर अधिकार कर गहडवाल वंश की स्थापना की थी तथा अपने राज्य का यमुना-गंगा के दोआब तक विस्तार कर लिया |

(2) गहडवाल वंश :– 

- संस्थापक :- चंद्रदेव इस वंश का संस्थापक था |
गहडवाल वंश के प्रथम शासक चंद्रदेव ने कन्नौज पर अधिकार कर गहडवाल वंश की स्थापना की थी तथा अपने राज्य का यमुना-गंगा के दोआब तक विस्तार कर लिया |
- चंद्रदेव ने वाराणसी को अपनी राजधानी बनाया और शीघ्र ही उसने प्रतिहारों का अंत कर कन्नौज पर अपना अधिकार कर लिया | 
- गोविन्द चन्द्र इस वंश का सर्वाधिक प्रसिद्ध एवं प्रतापी शासक था | 
- चंद्रदेव के शासनकाल में लक्ष्मीधर ने ‘कल्प्दुभ’ नामक विधि ग्रन्थ की रचना की | 
- जयचंद्र इस वंश का अंतिम शक्तिशाली शासक था जो 1194 में चंदवर के युध्द में मोहम्मद गौरी से पराजित हुआ | 

(3) चौहान वंश :– 

- दिल्ली तथा अजमेर उत्तरी भारत का सर्वाधिक शक्तिशाली राज्य था जिस पर चौहान वंश का अधिकार था |
-  प्रमुख शासक :- विग्रह राज द्वितीय, अजयराज, विग्रह राज चतुर्थ, बीसलदेव, पृथ्वीराज द्वितीय तथा पृथ्वीराज तृतीय (चौहान) इस वंश के प्रमुख शासक थे |
- पृथ्वी राज चौहान इस वंश का वीर, प्रतापी एवं अंतिम शासक था जिसने मोहम्मद गौरी को तराइन के प्रथम युध्द में पराजित किया |
- तराइन के द्वितीय युध्द में पृथ्वीराज चौहान परास्त हुआ और उत्तरी भारत में पहली बार मुगलों का राज्य स्थापित हुआ |
- इसके दरबार में प्रसिध्द कवि चंदबरदाई था जिसने ‘पृथ्वीराज रासो’ लिखी थी |

(4) कलचुरी वंश :–

-  संस्थापक :- कोकल्ल इस वंश का संस्थापक था इसने ‘त्रिपुरी’ को अपनी राजधानी बनाकर शासन किया | 
- इसकी दूसरी शाखा की राजधानी ‘रतनपुर’ थी |  
- अन्य शासक :- लक्ष्मण राज, गांगेयदेव, लक्ष्मिकोर्ण इस वंश के अन्य शासक हुए | 
- रंगदेव इस वंश का शक्तिशाली शासक था इसने ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि धारण की थी | 
- 13वी शताब्दी में इस वंश की शक्ति अत्यंत क्षीण हो गयी और अब इस वंश का राज्य जबलपुर तथा आस-पास के प्रदेशों तक ही सिमित रह गया |
- 15वी शताब्दी के आरम्भ में गोंडो ने इनकी रही-सही शक्ति को नष्ट कर दिया |

(5) चंदेल वंश :– 

- यशोवर्मन इस वंश का प्रथम प्रतापी एवं स्वतन्त्र शासक था जिसने बुंदेलखंड का राज्य कन्नौज के प्रतिहारो की दुर्बलता का लाभ उठाकर प्राप्त किया था |
- यशोवर्मन ने महोबा को अपनी राजधानी बनाया |
- यशोवर्मन ने कन्नौज पर आक्रमण कर प्रतिहार राजा देवपाल को परास्त किया |
-  अन्य शासक :- धंग, गंड, कीर्तिवर्मन, मदनवर्मन तथा परमल इस वंश के अन्य शासक हुए | 
- कीर्तिवर्मन कला एवं सहित्य का प्रेमी था, उसने महोबा के समीप ‘कीर्तिसागर’ नामक जलाशय का निर्माण कराया |
- परमल अथवा परमर्दन चंदेल वंश का अंतिम शासक था, जिसने 1202 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक की अधीनता स्वीकार कर ली और यही से चंदेल वंश का पतन प्रारम्भ हो गया | 
- खुजराहो के मंदिर चंदेलों के काल में ही बने है |



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