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Wednesday, January 5, 2022

सिंधुताई सपकाल का जीवन परिचय(1948-2022)

 सिंधुताई सपकाल का जीवन परिचय(Sindhutai Sapkal Biography in Hindi)

सिंधुताई सपकाल का जीवन परिचय(Sindhutai Sapkal Biography in Hindi)

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Died:                       4 January 2022, Pune 
Born:                       14 November 1948, Wardha
Spouse(s):               Shrihari Sapkal
Children:                 4 (biological); 1500+ Adopted
Parents:                   Abhiman Sathe
Other names:          Maai (lit. mother)
Awards:                  Padma Shri
Husband Name:     Shree Hari Sapkal  
Caste:                     Not known
Profession:             Indian social reformer
Education:              class 4th

जीवन परिचय: 

सिंधुताई सपकाल एक भारतीय समाज सुधारक हैं| जिन्हें “अनाथ बच्चों की माँ” कहा जाता है| वह विशेष रूप से भारत में अनाथ बच्चों को पालने और उनके भरण पोषण का कार्य करती थी| वर्ष 2016 में सिंधुताई को समाज सेवा के कार्यों के लिए डीवाई पाटिल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च द्वारा साहित्य में डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया था| 


जन्म और शिक्षा: 

सिंधुताई का जन्म 14 नवंबर 1948 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले में एक मवेशी चराने वाले परिवार में हुआ| सिंधुताई के पिताजी का नाम अभिमानजी था| उनके पिता सिंधुताई को शिक्षित करने के इच्छुक थे| इसलिए सिंधुताई के पिता उन्हें मवेशी चराने के बहाने से स्कूल भेजते थे| गरीबी, पारिवारिक जिम्मेदारियों और बाल विवाह के कारण सिन्धुताई को शिक्षा छोडनी पड़ी| वह सिर्फ कक्षा चार तक पड़ी थी|  


प्रारंभिक जीवन: 

जब सिंधुताई सिर्फ दस साल की थीं, उनकी शादी उनसे 10 साल बड़े व्यक्ति श्रीहरी सपकाल से कर दी गई थी| बाल विवाह के चंगुल का शिकार होने के बाद भी युवा सिंधुताई जीवन के प्रति आशावादी थी| अपने पति के घर में बसने के बाद, वह जमींदारों और वन अधिकारियों द्वारा महिलाओं के शोषण के खिलाफ खड़ी हुई|


सिंधुताई के पति ने उसे ऐसी गंभीर हालत में बुरी तरह से डांटा और घर से निकाल दिया|  जीवित रहने के लिए संघर्ष की अपनी यात्रा में, सिंधुताई महाराष्ट्र के चिकलदरा पहुंची| जहां एक बाघ संरक्षण परियोजना के परिणामस्वरूप 24 आदिवासी गांवों को खाली कराया गया था| उसने असहाय आदिवासी लोगों की इस गंभीर स्थिति के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया| उनके लगातार प्रयासों को वन मंत्री ने मान्यता दी, जिन्होंने आदिवासी ग्रामीणों के लिए प्रासंगिक वैकल्पिक पुनर्वास व्यवस्था बनाने का आदेश दिया| 


कई वर्षों तक कड़ी मेहनत करने के बाद सिंधुताई ने चिकलदरा में अपना पहला आश्रम बनाया| उसने अपने आश्रमों के लिए धन जुटाने के लिए कई शहरों और गांवों का दौरा किया| अब तक, उन्होंने 1500 बच्चों को गोद लिया है, जो प्यार से उन्हें ‘माई’ कहकर बुलाते हैं| उनमें से कई अब सम्मानित स्थानों पर डॉक्टर और वकील के रूप में काम कर रहे हैं|


सिंधुताई द्वारा संचालित संगठन (Organization Run by Sindhutai)

  • गंगाधरबाबा छत्रालय, गुहा
  • अभिमान बाल भवन, वर्धा
  • माई का आश्रम चिखलदरा, अमरावती
  • पुणेममता बाल सदन, कुंभारवलन, सासवद
  • सनमती बाल निकेतन, भेलहेकर वस्ती, हडपसर,
  • सिंधु ‘महिला अधार, बालसंगोपन शिक्षण संस्थान, पुणे   


पुरस्कार (Awards)

सिंधुताई सपकाल को अपने सामाजिक कार्यों के लिए 700 से अधिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है.

  • वर्ष 2017 – महिला दिवस पर 8 मार्च 2018 को सिंधुताई सपकाल को भारत के राष्ट्रपति से नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था| जो महिलाओं के लिए समर्पित सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है|  
  • 2016 – सोशल वर्कर ऑफ द ईयर अवार्ड वॉकहार्ट फाउंडेशन 
  • 2013 – मदर टेरेसा अवार्ड्स फॉर सोशल जस्टिस 
  • 2013 – प्रतिष्ठित माँ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 
  • 2012 – कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, पुणे द्वारा दिया गया COEP गौरव पुरस्कार
  • 2010 – अहिल्याबाई होल्कर पुरस्कार (महाराष्ट्र सरकार द्वारा सामाजिक कार्यकर्ताओं को महिलाओं और बाल कल्याण के क्षेत्र में)  
  • 2008 – दैनिक मराठी समाचार पत्र लोकसत्ता द्वारा दी गई वीमेन ऑफ द ईयर अवार्ड
  • 1992 – अग्रणी सामाजिक योगदानकर्ता पुरस्कार 
  • सह्याद्री हिरकानी अवार्ड (मराठी: सह्यद्रीच हिरकानी पुरस्कार)
  • राजाई पुरस्कार (मराठी: राजाई पुरस्कार)
  • शिवलीला गौरव पुरस्कार (मराठी: शिवलीला महिला गौरव पुरस्कार)


अनंत महादेवन की 2010 की मराठी फिल्म “मी सिंधुताई सपकाल” सिंधुताई सपकाल की सच्ची कहानी से प्रेरित एक बायोपिक है| इस फिल्म को 54 वें लंदन फिल्म फेस्टिवल में वर्ल्ड प्रीमियर के लिए चुना गया था|


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