सिंधुताई सपकाल का जीवन परिचय(Sindhutai Sapkal Biography in Hindi)
Born: 14 November 1948, WardhaSpouse(s): Shrihari SapkalChildren: 4 (biological); 1500+ AdoptedParents: Abhiman SatheOther names: Maai (lit. mother)Awards: Padma ShriHusband Name: Shree Hari SapkalCaste: Not knownProfession: Indian social reformerEducation: class 4th
जीवन परिचय:
सिंधुताई सपकाल एक भारतीय समाज सुधारक हैं| जिन्हें “अनाथ बच्चों की माँ” कहा जाता है| वह विशेष रूप से भारत में अनाथ बच्चों को पालने और उनके भरण पोषण का कार्य करती थी| वर्ष 2016 में सिंधुताई को समाज सेवा के कार्यों के लिए डीवाई पाटिल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च द्वारा साहित्य में डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया था|
जन्म और शिक्षा:
सिंधुताई का जन्म 14 नवंबर 1948 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले में एक मवेशी चराने वाले परिवार में हुआ| सिंधुताई के पिताजी का नाम अभिमानजी था| उनके पिता सिंधुताई को शिक्षित करने के इच्छुक थे| इसलिए सिंधुताई के पिता उन्हें मवेशी चराने के बहाने से स्कूल भेजते थे| गरीबी, पारिवारिक जिम्मेदारियों और बाल विवाह के कारण सिन्धुताई को शिक्षा छोडनी पड़ी| वह सिर्फ कक्षा चार तक पड़ी थी|
प्रारंभिक जीवन:
जब सिंधुताई सिर्फ दस साल की थीं, उनकी शादी उनसे 10 साल बड़े व्यक्ति श्रीहरी सपकाल से कर दी गई थी| बाल विवाह के चंगुल का शिकार होने के बाद भी युवा सिंधुताई जीवन के प्रति आशावादी थी| अपने पति के घर में बसने के बाद, वह जमींदारों और वन अधिकारियों द्वारा महिलाओं के शोषण के खिलाफ खड़ी हुई|
सिंधुताई के पति ने उसे ऐसी गंभीर हालत में बुरी तरह से डांटा और घर से निकाल दिया| जीवित रहने के लिए संघर्ष की अपनी यात्रा में, सिंधुताई महाराष्ट्र के चिकलदरा पहुंची| जहां एक बाघ संरक्षण परियोजना के परिणामस्वरूप 24 आदिवासी गांवों को खाली कराया गया था| उसने असहाय आदिवासी लोगों की इस गंभीर स्थिति के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया| उनके लगातार प्रयासों को वन मंत्री ने मान्यता दी, जिन्होंने आदिवासी ग्रामीणों के लिए प्रासंगिक वैकल्पिक पुनर्वास व्यवस्था बनाने का आदेश दिया|
कई वर्षों तक कड़ी मेहनत करने के बाद सिंधुताई ने चिकलदरा में अपना पहला आश्रम बनाया| उसने अपने आश्रमों के लिए धन जुटाने के लिए कई शहरों और गांवों का दौरा किया| अब तक, उन्होंने 1500 बच्चों को गोद लिया है, जो प्यार से उन्हें ‘माई’ कहकर बुलाते हैं| उनमें से कई अब सम्मानित स्थानों पर डॉक्टर और वकील के रूप में काम कर रहे हैं|
सिंधुताई द्वारा संचालित संगठन (Organization Run by Sindhutai)
- गंगाधरबाबा छत्रालय, गुहा
- अभिमान बाल भवन, वर्धा
- माई का आश्रम चिखलदरा, अमरावती
- पुणेममता बाल सदन, कुंभारवलन, सासवद
- सनमती बाल निकेतन, भेलहेकर वस्ती, हडपसर,
- सिंधु ‘महिला अधार, बालसंगोपन शिक्षण संस्थान, पुणे
पुरस्कार (Awards)
सिंधुताई सपकाल को अपने सामाजिक कार्यों के लिए 700 से अधिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है.
- वर्ष 2017 – महिला दिवस पर 8 मार्च 2018 को सिंधुताई सपकाल को भारत के राष्ट्रपति से नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था| जो महिलाओं के लिए समर्पित सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है|
- 2016 – सोशल वर्कर ऑफ द ईयर अवार्ड वॉकहार्ट फाउंडेशन
- 2013 – मदर टेरेसा अवार्ड्स फॉर सोशल जस्टिस
- 2013 – प्रतिष्ठित माँ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार
- 2012 – कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, पुणे द्वारा दिया गया COEP गौरव पुरस्कार
- 2010 – अहिल्याबाई होल्कर पुरस्कार (महाराष्ट्र सरकार द्वारा सामाजिक कार्यकर्ताओं को महिलाओं और बाल कल्याण के क्षेत्र में)
- 2008 – दैनिक मराठी समाचार पत्र लोकसत्ता द्वारा दी गई वीमेन ऑफ द ईयर अवार्ड
- 1992 – अग्रणी सामाजिक योगदानकर्ता पुरस्कार
- सह्याद्री हिरकानी अवार्ड (मराठी: सह्यद्रीच हिरकानी पुरस्कार)
- राजाई पुरस्कार (मराठी: राजाई पुरस्कार)
- शिवलीला गौरव पुरस्कार (मराठी: शिवलीला महिला गौरव पुरस्कार)
अनंत महादेवन की 2010 की मराठी फिल्म “मी सिंधुताई सपकाल” सिंधुताई सपकाल की सच्ची कहानी से प्रेरित एक बायोपिक है| इस फिल्म को 54 वें लंदन फिल्म फेस्टिवल में वर्ल्ड प्रीमियर के लिए चुना गया था|
चौधरी चरण सिंह का जीवन (23 दिसंबर 1902 - 29 मई 1987)
sindhutai sapkal,sindhutai sapkal bhashan,sindhutai sapkal biography,sindhutai sapkal book,sindhutai sapkal death,sindhutai sapkal history,sindhutai sapkal husband,sindhutai sapkal in hindi,sindhutai sapkal information in hindi,sindhutai sapkal movie,sindhutai sapkal poem,sindhutai sapkal quotes,sindhutai sapkal story
No comments:
Post a Comment